________________ सच्चित्तं पडिबद्ध अपोलि दुप्पोलियं च आहारं / तुच्छोसहीण भक्खणमिह वज्जे पंच अइयारे // 80 // दुविहं तिविहेण गुणव्वयं तु घित्तूण देइ उवएसं / अहियं वा परिभुंजइ जाणतो तो भवे भंगो // 81 // मलमइलजुन्नवत्थो परिभोगविवज्जिओ जियाणंगो / कइया परीसहचर्मु अहियासंतो उ विहरिस्सं // 82 // धम्मिंदियभोयणट्ठा जं कज्जं तं तु होइ अट्ठाए / विवरीयं तु अणट्ठा तव्विरइ गुणव्वयं तइयं // 83 // पावोवएसहिंसप्पयाण अवझाण गुरुपमायरियं / भेया अणत्थदंडस्स हुंति चउरो जिणक्खाया // 84 // दट्ठण दोसजालं अणत्थदंडम्मि न य गुणो को वि। तविरई होइ दढं विवेगजुत्तस्स सत्तस्स / / 85 // रागद्दोसवसट्टा दुद्दन्तुम्मत्तजायवकुमारा / . खलियारिऊण य मुणिं निरत्थयं ते गया निहणं // 86 // जे पुण अणत्थदंडं न कुणंति कयं पि कह वि निदति / ते अंगरक्खसद्धो व्व सावया सुहनिही होति // 87 // कज्जं अहिगिच्च गिही कामं कम्मं सुभासुभं कुणई / परिहरियव्वं पावं निरत्थर्मियरं च सत्तीए। // 88 // कंदप्पे कुक्कुइए मोहरियं तहयचित्त अहिगरणं (संजुयाहिगरणं च)। उवभोगे अरेगे पंचइयारे परिहरेज्जा // 89 // कंदप्पाइ उवेच्चा कुव्वंतो अइकिलिट्ठपरिणामो / पावस्सुदएण गिही भंजइ एयं अविण्णाणो // 90 // चितंति करंति सयंति जन्ति जंपंति किं पि जयणाए / तमु(सयउ)वउत्ता सम्म जे ते साहू नमसामि // 91 // 159