________________ तम्हा कम्माणीयं, जे उ मणो दंसणम्मि पयइज्जा / दंसणवओ हि सफलाणि, हुंति तवणाणचरणाणि // 247 // भटेण चरित्ताओ, सुठुयरं दंसणं महेयव्वं / ... सिझंति चरणरहिया, दंसणरहिया न सिझंति .. // 248 // एगविह-दुविह-तिविहं, चउहा पंचविहं दसविहं सम्मं / . मोक्खतरुबीयभूअं, संपइराया व धारेज्जा // 249 // भासामइबुद्धिविवेग-विणयकुसलो जीयक्ख गंभीरो / उवसमगुणेहिं जुत्तो; निच्छयववहारनयनिउणो // 250 // जिणगुरुसुयभत्तिरओ, हियमियपियवयणजंपिरो धीरो / संकाइदोसरहिओ, अरिहो सम्मत्तरयणस्स // 251 // ते धन्ना ताण नमो, ते चिय चिरजीविणो बुहा ते उ। जे निरइयारमेयं, धरंति सम्मत्तवरस्यणं // 252 // उवसम संवेगों वि य, निव्वेओ वि य तहेव अणुकंपा / . आत्थिकं चेव तहा, सम्मत्ते लक्खणा पंच इत्थ य परिणामो खलु, जीवस्स सुहो उ होइ विन्नेओ / किं मलकलंकमुक्कं, कणगं भुवि ज्झामलं होइ // 254 // पयईए कम्माणं, वियाणिउं वा विवागमसुहं तिं / अवरद्धे वि न कुप्पइ, उवसमओ सव्वकालं पि // 255 // नरविबुहेसरसोक्खं, दुक्खं चिय भावओ उ मनंतो / संवेगओ न मोक्खं, मोत्तूणं किं पि पत्थेइ // 256 // नारयतिरियनरामर-भवेसु निव्वेयओ वसइ दुक्खं / . अकयपरलोगमग्गो ममत्तविसवेगरहिओ व // 257 // दठुण पाणिनिवहं, भीमे भवसायरम्मि दुक्खत्तं / . अविसेसओणुकंपं, दुहा वि सामत्थओ कुणइ . // 258 // // 25 // 150