________________ गइ-इंदिए अ काए, जोए वेए कसाय-णाणे य / संजम-दंसण-लेसा, भवसम्मे सन्नि-आहारे // 235 // धम्मा-धम्मा-गासा, तियतियभेया तहेव अद्धा य / खंधा देसपएसा, परमाणु अजीव चउदसहा // 236 // धम्मा-धम्मा-पुग्गल-नह कालो पंच हुंति अजीवा / चलणसहावो धम्मो, थिरसंठाणो अधम्मो य // 237 // अवगाहो आगासो, पुग्गल-जीवाण पुग्गला चउहा / खंधा देसपएसा, परमाणू चेव नायव्वा // 238 // समयावलिमहत्ता, दियहा पक्खा य मास वरिसा य / / भणिओ पलिया-सागर, ओसप्पिणि-सप्पिणीकालो // 239 // सुग्गइमग्गो पुण्णं, दुग्गइमग्गो च होइ पुण पावं / कम्मसुहा-सुहआसव, संवरणं तस्स जो नियमो // 240 // तव-संजमेहिं निज्जर, पाणिवहाईहि होइ बंधो त्ति / कम्माण सव्वविगमो, मुक्खो जिणसासणे भणिओ // 241 // जीवाइ नवपयत्थे, जो जाणइ तस्स होइ सम्मत्तं / भावेण सद्दहंते, अयाणमाणे वि सम्मत्तं // 242 // दुविहं लोइयमिच्छं देवघ्यं गुरुगयं मुणेयव्वं / 'लोउत्तरं पि दुविहं, देवगयं गुरुगयं चेव // 243 // चउभेयं मिच्छत्तं, तिविहं तिविहेण जो विवज्जेइ / अकलंकं सम्मत्तं, होइ फुडं तस्स जीवस्स // 244 // कुषमाणो वि हि किरियं, परिच्चयंतो वि सयणधणभोगे / दितो वि दुहस्स करं, न जिणइ अंधो पराणीयं // 245 // कुणमाणो वि निवित्ति, परिच्चयंतो वि सयणधणभोगे / / दितो वि दुहस्स करं, मिच्छदिट्ठी न सिज्झइ उ // 246 // 140