________________ गुरुगुणरहिओ य इहं, दट्ठव्वो मूलगुणविउत्तो जो। न उ गुणमित्तविहीण-त्ति चंडरुद्दो. उदाहरणं . // 176 // कालाइदोसओ जइ वि, कह वि दीसंति तारिसा न जइ / सव्वत्थ तह वि नत्थि त्ति, नेव कुज्जा अणासासं // 177 // कुग्गह कलंकरहिया, जहसत्ति जहागमं च जयमाणा / जेण विसुद्धचरित्ता, कहिया अरिहंतसमयम्मि // 178 / / अज्ज वि तिन्नपइन्ना, गरुयभरुव्वहणपच्चला लोए / दीसंति महापुरिसा, अखंडियसीलपब्भाराः // 179 // अज्ज वि तवसुसियंगा, तणुयकसाया जिइंदिया धीरा / ... दीसंति जए जइणो, मम्महहिययं वियारंता // 180 // अज्ज वि दयसंपन्ना, छज्जीवनिकायरक्खणुज्जुत्ता / ... दीसंति तवस्सिगणा, विगह-विरता सुईजुत्ता // 181 // अज्ज वि दय-खंति-पइट्ठियाई तव-नियम-सीलकलियाई / विरलाइं दूसमाए, दीसंति सुसाहुरयणाई // 182 // इइ जाणिऊण एयं, मा दोसं दूसमाए दाऊण / धम्मुज्जमं पमुच्चह, अज्ज वि धम्मो जए जयइ // 183 // ता तुलियनियबलाणं, सत्तीए जहागमं जयंताणं / संपुना च्चिय किरिया, दुप्पसहंताण साहूणं // 184 // लाहालाह-सुहासुह-जीवियमरण-ट्टिईपयाणेसु / हरिस-विसायविमुक्कं, नमामि चित्तं चरित्तीणं // 185 // वंदिज्जतो हरिसं, निदिज्जंतो करेज्ज न विसायं / . न हु नमिय-निदियाणं, सुगई कुगई व बेंति जिणा // 186 // वंदामि तवं तह संजमं च, खंतिं च बंभचेरं च। . जीवाणं च अहिंसा, जं च नियत्ता घरावासा . // 187 // 144