________________ निग्गंथसिणायाणं, पुलागसहियाण तिण्ण वुच्छेओ / बकुसकुसीला दोन्नि वि, जा तित्थं ताव होहिति // 164 // ता तेसिं असठाप्पं, जहसत्ति जहागमं जयंताणं / कालोचियजयणाए, बहुमाणं होइ कायव्वं // 165 // बहुमाणं वंदणयं, निवेयणा पालणा य जत्तेण / उवगरणदाणमेवं, गुरुपूया होइ विनेया // 166 // पलए महागुणाणं, हवंति सेवारिहा लहुगुणा वि / अत्थमिए दिणनाहे, अहिलसइ जणो पईवं पि // 167 // सम्मत्तनाणचरणाणुपाइ-माणाणुगं च जं तत्थ / जिणपन्नत्तं भत्तीए, पूयए तं तहाभावं // 168 // केसिंचि य आएसो, दंसणनाणेहिं वट्टए तित्थं / वोच्छिनं च चरितं, वयमाणे होइ. पच्छित्तं // 169 // जो भण्णइ णत्थि धम्मो, न य सामाइयं न चेव य वयाई / सो समणसंघबज्झो, कायव्वो समणसंघेण // 170 // दुष्पसहंतं चरणं, जं भणियं भगवया इहं खित्ते / आणाजुत्ताणमिणं, न होइ अहुणत्तिया मोहो // 171 // कालोचियजयणाए, मच्छररहियाण उज्जमंताण / जणजत्तारहियाणं, होइ. जइत्तं जइण सया // 172 // न विणा तित्थं निग्गंथेहिं, नातित्था य निग्गंथया / छकायसंजमो जाव, ताव अणुसंजणा दुण्हं ". जा संयमया जीवेसु, ताव मूला य उत्तरगुणा य / इत्तरिय छेयसंजमो, निग्गंथ बउसा य पडिसेवी // 174 // सव्वजिणाणं णिच्चं, बकुसकुसीलोह वट्टए तित्थं / / नवरं कसायकुसीला, अपमत्तजइ वि सत्तेण // 175 // 143