________________ मंसनिवित्तिं काउं, सेवइ दंतिक्कयंति धणिभेयां / इय चइऊणारंभं, परववएसा कुणइ बालो . // 84 // तित्थयरुद्देसेण वि, सिढिलिज्ज न संजमं सुगइमूलं / . . तित्थयरेण वि जम्हा, समयम्मि इमं विणिढेिं // 85 // सव्वरयणमएहिं, विभूसियं जिणहरेहिं महिवलयं / . . . जो कारिज समग्गं, तओ वि चरणं महड्ढियं / // 86 // अन्नाभावे जयणाए, मगंणासो हविज्ज मा तेण / पुव्वं कयाययणाइसु, इसिंगुणसंभवे इहरा // 87 // चेइय-कुल-गण-संघे, आयरियाणं व पवयणसुए य / ... सव्वेसु वि तेण कयं, तवसंजमउज्जमंतेण // 88 // केइ भणंति भण्णइ, सुहमविचारो न सावगाण पुरो / .. तं न जओ अंगाइसु, सुव्वइ तव्वण्णणा एवं // 89 // लट्ठा गहियट्ठा य, पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा य / अहिगयजीवाइया, अचालणिज्जा पवयणाओ // 90 // तह अट्ठिअट्ठिमज्जा-णुरायरत्ता जिणिंदपण्णत्तो.। एसो धम्मो अट्ठो, परमट्ठो सेसगमणट्ठो // 91 // सुत्ते अत्थे कुसला, उस्सग्ग-ववाईए तहा कुसला / ववहार-भावकुसला, पवयणकुसला य छट्ठाणा- // 92 // पुच्छंताणं धम्म, तं पि य न परिक्खिउं समत्थाणं / आहारमित्तलुद्धा, जे उम्मग्गं उवइसंति // 93 // सुगई हणंति तेसिं, धम्मियजणणिंदणं करेमाणा / आहारपसंसासु य, णयंति जणं दुग्गइं बहुयं . // 94 // हुज्ज हु वसणपत्तो, सरीरदोब्बल्लयाए असमत्थो / चरण-करणे असुद्धे, सुद्धं मग्गं परूवेज्जा . // 95 // 239