________________ THE L परिवारपूयहेडं, पासत्थाणं च आणुवित्तीए / जो न कहेइ विसुद्धं, तं दुलहबोहियं जाण // 96 // मुहमहुरं परिणइ-मंगुलं च, गेण्हंति देंति उवएसं / मुहकडुयं परिणइ-सुंदरं च विरल च्चिय भणंति // 97 // भवगिहमज्झम्मि पमाय-जलणजलियम्मि मोहनिदाए / उट्ठवइ जो सुयंतं, सो तस्स जणो परमबंधू // 98 // जइ वि हु सकम्मदोसा, मणयं सीयंति चरणकरणेसु / . सुद्धपरूवगा तेण, भावओ पूयणिज्जंति // 99 // एवं जिया आगमदिट्ठिदिट्ठ-सुन्नायमग्गा सुमग्गलग्गा / गयाणुगामीण जणाण मग्गे, लग्गति नो गड्डरिगापवाहे // 100 // नेगंतेणं चिय लोग-नायसारेण इत्थ होयव्वं / बहुमुंडाइवयणओ, आणा इत्तो इह. पमाणं // 101 // बहुजणपवित्तिमित्तं, इच्छंतेहिं इह लोइओ चेव / धम्मो न उज्झियव्वो, जेण तहिं बहुजणपवित्ती // 102 // ता आणाणुगयं जं, तं चेव बुहेण सेवियव्वं तु / किमिह बहुणा जणेणं, हंदि न से अत्थिणो बहुया // 103 // दूसमकाले दुलहो, विहिमग्गो तम्मि चेव कीरंते / जायइ तित्थुच्छेओ, केसिं वि कुग्गहो एसो // 104 // जम्हा न मोक्खमग्गे, मुत्तूणं आगमं इह पमाणं / विज्जइ छउमत्थाणं, तम्हा तत्थेव जइयव्वं // 105 // गिहिलिंग-कुलिंगिय-दव्वलिंगिणो तिन्नि हुंति भवमग्गा / सुजइ-सुसावग-संविग्ग-पक्खिणो तिन्नि मोक्खपहा // 106 // सम्मत्त-नाण-चरणा, मग्गो मोक्खस्स जिणवरुट्टिो / / विवरीओ उम्मग्गो, णायव्वो बुद्धिमंतेहिं // 107 // 137