________________ अट्ठविहं पि य कम्मं, अरिभूयं होइ सव्वजीवाणं / तं कम्ममरिं हंता, अरिहंता तेण वुच्चंति . // 12 // अरहंति वंदण-णमंसणाई अरहंति पूयसकारं / सिद्धिगमणं च अरहा, अरहंता तेण वुच्चंति // 13 // अच्चंतं दड्ढम्मि बीयम्मि, न अंकुरो जहा होइ / / दड्ढम्मि कम्मबीए, न रुहइ भवअंकुरो वि तहा। // 14 // . तं नमह तं पसंसह, तं झायह तस्स सरणमाल्लियह। मा किणह कणयमुल्लेण, पित्तलं इत्तियं भणिमो // 15 // मेरुव्व समुत्तुंगं, हिमगिरिधवलं लसंतधवलधयं / ... भवणं कारेयव्वं, विहिणा सिरिवीयरायस्स // 16 // जिणभवणकरणविहि, सुद्धा भूमि दलं च कट्ठाई / भियगाणतिसंधाणं, सांसयवुड्डी य जयणा य // 17 // अहिगारिणा इमं खलु, कारेयव्वं विवज्जए दोसो / आणाभंगा उ च्चिय, धम्मो आणाए पडिबद्धो ... // 18 // तित्थगराणा मूलं, नियमा धम्मस्स तीए वाघाए / किं धम्मो किमहम्मो, मूढा नेयं वियारंति // 19 // आराहणाए तीए, पुत्रं पावं विराहणाए उ। एवं धम्मरहस्सं, विनेयं बुद्धिमंतेहिं // 20 // अहिगारि उ गिहत्थो, सुहसयणो वित्तसंजुओ कुलजो। अक्खुद्दो धिइबलिओ, मइमं तह धम्मरागी य // 21 // निप्फाइऊण एवं, जिणभवणं सुंदरं तहिं बिंबं / . विहिकारियमह विहिणा, पइट्ठविज्जा लहुं चेव // 22 // अहिगारिणा विहीए, कारावयं जं न साहुनिस्साए / तमनिस्सकडं अट्ठा-वइव्व सेसं तु निस्सकडं / // 23 // . 130