________________ संपुन्नवंदणविही, भणिओ एसो गुरूवएसेण / संपुनो कायव्वो, संपुनफलत्थिणा निच्चं // 902 // पवयणववहाराओ, बझं जं किंचि इह मए रइयं / / तं सोहिंतु समत्थं, मज्झत्था जे सुगीयत्था // 903 // संघसमायारमिमं, कहिऊण मए जमज्जियं पुन्नं / संघम्मि सुद्धभत्ती, सिद्धफला मे तओ होज्जा // 904 // संघो महाणुभावो, तित्थंकरवंदिओ तदायारो / सूइज्जंतो सम्म, रिसिगुणसंपायगो होइ // 905 // जो अवमन्नइ संघ, अन्नाणतमोहमोहिओ. जीवो / सो पावइ दुक्खाई, सगरसुयाणं व संदाहो // 906 // जो उ महग्घे संघे, पभावणं कुणइ निययसत्तीए / सो होइ वंदणिज्जो, देवाण वि वइरसामि व्व। // 907 // पावयणी धम्मकही, वाई नेमित्तिओ तवस्सी य / विज्जा सिद्धो य कवी, अद्वैव पभावगा भणिया एएहिँ परिग्गहिओ, जिणवीरपवत्तिओ महाभागो / मिच्छत्तमभिभवंतो, दुप्पसहंतो जयइ संघो // 909 // भुवणभवणप्पईवो, तियसेंद-नरिंदविंदकयसेवो / सिरिवद्धमाणवीरो, होउ सया मंगलं तुम्ह // 910 // 908 // 128