________________ तुल्लं पि पालणाई, जाया-जणणीण पीइ-भत्तिगयं / पीई-भत्तिसु(जु)याणं, भेओ नेओ तहेहं पि // 890 // जो पुण जिणगुण,ईसुत्तविहाणेण वंदणं कुणइ / वयणाणुट्ठांणमिणं, चरित्तिणो होइ नियमेण // 891 // जं पुण अब्भासरसा, सुयं विणा कुणइ फलनिरासंसो / तमसंगाणुट्ठाणं, विनेयं निउणदंसीहिं // 892 // कुंभारचक्कभमणं, पढम दंडा तओ वि तयभावे / वयणा-ऽसंगाणुट्ठाणभेयकहणे इमं नायं // 893 // पढमं भावलवाओ, पायं बालाइयाण संभवइ / तत्तो वि उत्तरुत्तरसंपत्ती नियमओ होइ // 894 // तम्हा चउव्विहं पि हु, नेयमिणं पढमरूवगसमाणं / जम्हा मुणीहिँ सव्वं, परमपयनिबंधणं भणियं // 895 // बीयगरूवसमं पि हु, सम्माणुढाणकारणत्तेण / एगंतेण न दुटुं, पुव्वायरिया जओ बेंति . // 896 // असढस्स अपरिसुद्धा, किरिया सुद्धाएँ कारणं होइ / अ(ज)त्तो विमलं रयणं, सुहेण बज्झं मलं चयइ // 897 // तइयगरूवगतुल्ला, मायमोसाएँ दोससंसत्ता / कारिमरूवयववहारिणो व्वं कुज्जा महाणत्थं // 898 // होइ य पाएणेसा, अन्नाणाओ असद्दहाणाओ / कम्मस्स गुरू त्ताओ, भवाभिनंदीण जीवाणं // 899 // उभयविहूणा उ पुणो, नियमाराहणविराहणारहिया / विसयभासगुणाओ, कयाइ होज्जा सुहनिमित्तं // 900 // जह सावगस्स पुत्तो, बहुसो जिणबिंबदसणगुणेणं / अकयसुकओ वि मरिउं, मच्छभवे पाविओ सम्मं // 901 // . 127