________________ दुइयम्मि वि पणिहाणे, भवनिव्वेयाइ सिवफलं चेव / तो नत्थि अत्थभेओ, वंजणरयणा परं भिन्ना // 866 // एत्तो च्चिय एगयरं, पणिहाणं नियमओ य कायव्वं / / इय पुर्वि उवइटुं, दुहा वि न नियाणमेयं ति // 867 // कम्मक्खयत्थमीडा, तत्तो नियमेण होइ किर मोक्खो। जइ सो वि न पत्थिज्जइ, धम्मे आलंबणं कयरं? // 868 // आलंबणनिरवेक्खा, किरिया नियमेण दव्वकिरिय त्ति / संमुच्छिमपायाणं, पायं तुच्छप्फला होइ // 869 // सुत्तम्मि चेव भणियं, पत्थणमारोग-बोहिलाभस्स / तम्हा कायव्वमिणं, पणिहाणं नो खलु नियाणं // 870 // जो वि भणिओ दसाइसु, तित्थगरम्मि वि नियाणपडिसेहो / तित्थगररिद्धिअभिसंगभावओ सो वि जुत्तो त्ति // 771 / / न य पत्थिया वि लब्भइ, साभिस्संगेहिँ तारिसा पयवी / निस्संगभावसज्झा, जम्हा सा मुत्तिहेउत्ता . // 872 // एवं च दसाईसु तित्थयरम्मि वि नियाणपडिसेहो / जुत्तो भवपडिबद्धं, साहिस्संगं तयं जेण // 873 // कयमेत्थ पसंगेणं, एवं पणिहाणसंगया एसा / संपुत्रा उक्कोसा, निद्दिट्ठा वंदणा लद्धा . // 874 // उस्सग्गेणं स चिय, कायव्वा सुद्धमग्गगामीहि / सेसां उ देसकालादवेक्खणा होइ अट्ठविहा // 875 // वित्तिकिरियाऽविरोहो, अववायनिबंधणं गिहत्थाणं / किरियंतरकालाइक्कमाइभावो सुसाहूणं // 876 // ...दव्वाइएहि जुत्तस्सुस्सग्गो तदुचियं अणुट्ठाणं / रहियस्स तमववाओ, जहोचियं जुत्तमुभयं पि // 877 // . 125