________________ सम्ममवियारिऊणं, सओ य परओ य समयसुत्ताइं / ' जो पवयणं विकोवइ, सो नेओ दीहसंसारी // 830 // दूसमदोसा जीवो, जं वा तं वा मिसंतरं पप्प / चयइ बहुं करणिज्जं, थेवं पडिवज्जइ सुहेण . // 831 // एकं न कुणइ मूढो, सुयमुद्दिसिऊण नियकुबोहम्मि। . जणमन्नं पि पवत्तइ, एवं बीयं महापावं // 832 // उप्पन्नसंसया जे, सम्म पुच्छंति नेव गीयत्थे / चुकंति सुद्धमग्गा, ते. पल्लवगाहिपंडिच्चा // 833 // अलमेत्थ वित्थरेणं, वंदिय सन्निहियचेइयाणेवं / अवसेसचेइयाणं, वंदणपणिहाणकरणत्थं // 834 // पुव्वविहाणेण पुणो, भणित्तु सक्कत्थयं तओ कुणइ / ... जिणचेइयपणिहाणं, संविग्गो मुत्तसुत्तीए // 835 // जावंति चेइयाई, उड्डे य अहे य तिरियलोए य / सव्वाइँ ताइँ वंदे, इह संतो. तत्थ संताई // 836 // सक्कत्थएण इमिंणा, एयाई चेइयाइँ वंदामि / सक्कथयस्स य भणणे, एवं खु पओयणं भणियं / // 837 // तत्तो य भावसारं, भणिऊणं छोभवंदणं विहिणा / साहुगयं पणिहाणं, करेइ एयाएँ गाहाए // 838 // जावंत केइ साहू, भरहे-रखय(ए) महाविदेहे य / सव्वेसिं तेसिं पणओ, तिविहेण तिदंडविरयाणं // 839 // तत्तो अतित्तचित्तो, जिणेंदगुणवन्नणेण भुज्जो वि / सुकइनिबद्धं सुद्धं, थयं च थोत्तं च वज्जरइ // 840 // सक्कयभासाबद्धो, गंभीरत्थो थओ ति विक्खाओ / पाययभासाबद्धं, थोत्तं विविहेहिँ छंदेहिं . . // 841 // 122