________________ तह सावगो वि एवं, वन्निज्जइ पुव्वपुरिससत्थेसु / पूयाविसेसकारी, पव्वेसु इमं जओ सुत्तं // 818 // संवच्छर-चाउम्मासिएसु अट्ठाहियासु वि तिहीसु / सव्वायरेण लग्गइ, जिणवरपूआ-तवगुणेसु // 819 // इय पूय च्चिय एगा, भणिया न य वंदण त्ति मा बुज्झ / नहि संपुन्ना पूया, वंदणविगला जओ होइ // 820 // निच्चं चिय किच्चमिणं, न य सव्वो तरइ निच्चसो काउं / इय सव्वपरिच्चाया, उवइट्ठा पव्वदियहेसु // 821 // सुत्ते एगविह च्चिय, भणिया तो भेयसाहणमजुत्तं / इय थूलमई कोई, जंपइ सुत्तं इमं सरिउं // 822 // तिन्नि वा कड्डई जाव, थुईओ तिसिलोइया / ताव तत्थ अणुनायं, कारणेण परेण वि // 823 // भणइ गुरू तं सुत्तं, चिइवंदणविहिपरूवगं न भवे / निकारणजिणमंदिरपरिभोगनिवारगत्तेण // 824 // जं वा-सद्दो पयडो, पक्खंतरसूयगो तहिं अस्थि / संपुत्रं वा वंदइ, कड्डइ वा तिनि उ थुईओ // 825 // एसो वि हु भावत्थो, संभाविज्जइ इमस्स सुत्तस्स / ता अनत्थं सुत्तं, अन्नत्थ न जोइडं जुत्तं // 826 // जइ एत्तियमेत्तं चिय, जिणवंदणमणुमयं सुए हुत्तं / थुइ-थोत्ताइपवित्ती, निरत्थिया होज्ज सव्वा वि // 827 // संविग्गा विहिरसिया, गीयत्थतमा य सूरिणो पुरिसा / कह ते सुत्तविरुद्धं, सामायारी परूवेंति? // 828 // . चीवंदणा उ दुविहा, निच्चा इयरा उ होइ नायव्वा / . तव्विसयमिमं सुत्तं, मुणंति गीया उ परमत्थं // 829 // 121