________________ तो तिक्कालं गिहिणो, पंचहि सक्कत्थएहिँ सा जुत्ता / जइ ताव वित्तिबाहा, असमाहिकरी न संभवइ // 806 // तब्भावे उ अवस्सं, नवभेयाए इमीऍ अन्नयरी / ... पडिसुद्धा कायव्वा, दंसणसुद्धिं महंतेण // 807 // नवभेया पुण एसा, भणिया पुरिसेहि तत्तवेईहिं / .. संपुनमचायतो, मा कोइ चएज्ज सव्वं पि // 808 // आह किमेवइय चिंय, उयाहु अहिया वि संगया एसा ? / पडिभणइ गुरू सुंदर !, अइभरियं नत्थि धम्मम्मि // 809 // एत्तो अहिगतरा वि हु, कीरंती गरुयभत्तिराएण / कल्लाणयपव्वाइसु, गुणावहा चेव भत्ताणं // 810 // वड्डइ धम्मज्झाणं, फुरंति हियए गुणा जिणिदाणं / . उच्छलइ तेसु भत्ती, कमिंधणहुयवहसमाणा // 811 // अन्नेसिं भव्वाणं, उवइट्ठो होइ उत्तमो मग्गो / इय विविहा हुँति गुणा, पुणो पुणो वंदणाकरणे // 812 // भावुल्लासेण विणा, अहिगपवित्ती न होइ.धम्मम्मि / सो खलु सुप्पणिहाणं, भन्नइ विनायसमएहिं // 813 // सुव्वइ दुग्गयनारी, जयगुरू णो सिंदुवारकुसुमेहिं / पूयापणिहाणेणं, उवउत्ता(वण्णा) तियसलोयम्मि // 814 // वंदणपणिहाणाओ, सुविसुद्धाओ पवड्डमाणाओ / सुव्वइ जिणेदसमए, देवत्तं दुहुरो पत्तो // 815 // एत्तो चिय सुहमइणो, बहुसो वंदंति पव्वदियहेसु / . तित्थाणि मणे धरिलं, अट्ठावय-रेवयाईणि // 816 // सुत्तम्मि वि भणियमिणं, अट्ठमि-चाउद्दसीसु सङ्केण / सव्वाइँ चेइयाई, विसेसओ वंदियव्वाइं . // 817 // 120