________________ नणु भावविसेसाओ, सिद्धि नरयं च पाणिणो जंति / '' नारीणमसुहभावो, न हु तिव्वो होइ पयईए // 758 // तम्हा सत्तमपुढवीं, न जंति ताओ निसग्गओ चेव। . वच्चंति मुत्तिमुत्तम !, सुहपरिणामोवलंभाओ // 759 // सत्तममहिगामित्ता(तं), जइ हेऊ होज्ज उड्डगमणस्स / . . ता कीस सहस्सारा, उवरिं मच्छा न गच्छंति ? // 760 // जह जाइपच्चयाओ, मच्छाईणं न अस्थि सिद्धिगमो / तह सत्तमपुढविगई, नारीण निसग्गओ नत्थि // 761 // तह वि हु जुत्ता मुत्ती, जम्हा दीसइ अणुत्तरं विरियं / धम्मविसयम्मि तासिं, तहातहा उज्जु(ज्ज) मंतीणं // 762 // किं बहुणा ? सिद्धमिणं, लोए लोउत्तरे वि नारीणं / नियनियधम्मायरणं, पुरिसेहितो विसेसेणं // 763 // सुहभावसालिणीओ, दाण-दया-सील-संजमधरीओ। सुत्तस्स पमाणत्ता, लहंति मुत्तिं सुनारीओ // 764 // इय वट्टमाणतित्था-हिनायगं वंदिऊण भावेण / कल्लाणत्तयकित्तण-पुव्वं नेमीजिणं थुणइ // 765 // सुत्तत्थो सुगमो च्चिय, किं पुण कारणमिमस्स संथवणं ? / कीरइ भुवणच्चब्भुय-विसेसचरियाणुसरणत्थं / // 766 // भत्ती नेमिजिणेंदे, होइ पसिद्धी तहा सुतित्थस्स / कल्लाणयतियपूया-संपायणमेय गाहाए // 767 // सुकयमणुमोइअव्वं, पुणो पुणो साणुबंधफलहेऊ / इय वंदिय देवाणं, भुज्जो अणुकित्तणं कुणइ // 768 // चउरो उसभजिणाओ, अट्ठ य सुमईजिणाओं आरब्भ / . विमलजिणाओ दस दो, अ वंदिया पास-वीरजिणा. // 769 // 116