________________ एवं सिद्धपयत्थी, करेमि सिद्धाण संथवमियाणि / इय भावंतो सम्मं, सिद्धाण थुइं पढइ (पयओ) // 710 // सिद्धा निप्फन्ना खलु, सकारंतरपवित्तिनिरवेक्खा / .. सव्वुत्तमपयपत्ता, जेसिं परिकम्मणा नत्थि // 711 // विज्जा-जोगं-जण-धाउवायसिद्धाइया वि लोगम्मि / सिद्धा चेव पसिद्धा, विसेसणं तेण बुद्धाणं // 712 // बुझंति जे समग्गं, वटुंतमणागयं अईयं पि। भवभाविवत्थुतत्तं, तेसि बुद्धाण सिद्धणं // 713 // मुत्तिं पत्ता वि सुरा, परिभूयं जाणिऊण नियतित्थं / ..... संसारे अवयारं, कुणंति केसिंचि मयमेयं // 714 // तेसि पडिबोहणत्थं, पारगयाणं विसेसणं भणियं / न हु हुंति तारिसा जं, पारगया भवसमुद्दस्स // 715 // पारं पज्जंतं खलु, गयाण पत्ताण भवमहोयहिणो / अच्चंतियगमणेणं, भुज्जो वि तदप्पवेसाओ // 716 // ते वि हु अणाइसिद्धा, केहि वि इट्ट त्ति तन्निरासत्थं / भन्नइ विसेसणंतर-मन्नं पि परंपरगयाणं // 717 // एगुवएसादन्नो, तओ वि अन्नो तओ वि अन्नयरो / एवं परंपराए, गयाण पत्ताण मुत्तिपयं // 718 // न य वत्तव्वं पढमो, कस्सुवएसेण सिवपयं पत्तो ? / कालस्स व पढमत्तं, नत्थि च्चिय जेण कस्सा वि // 719 // विणया नाणं नाणा, उ दंसणं दंसणाओ चरणं तु / . चरणाहिंतो मोक्खो, परंपरा इमा एवं // 720 // नियवीरिएण अहवा, कालसहावाइणो वसे काउं / भवियव्वयनामाए, विसालसोवाणमालाए // 721 // 112