________________ धम्मो त्ति सुत्तधम्मो, वड्वड पावेइ उन्नइं परमं / सासयभणवरयं चिय, विजयाओ दुम्मयचमूणं // 698 // धम्मो चरित्तधम्मो, तेण जहा उत्तरं अइपहाणं / होइ तह च्चिय वड्डउ, सुयधम्मो एस भगवं ति // 699 // आयरसूयणहेडं, वड्डउ भणियं पुणो इममदुटुं / उवविस उवविस भुंजसु, दीसइ लोए वि ववहारो // 700 // सिद्धिसमूसुयहियओ, न हु एत्तियवंदणेण परितुट्ठो / कपणा, कुणइ पुणा एवमुवसग्ग // 701 // पुव्वं व कायचाय, काउं परिचिंतिऊण मंगलयं / विहिपारियउस्सग्गो, सुयनाणथुइं तओ देज्जा // 702 // पढमत्थएँ भावजिणा, बीए ठवणाजिणा जिणहरत्था / तइए पुण नामजिणा, तिलोयंठवणाजिणा य थुया // 703 // इह पुक्खरवरदंडे, दव्वरिहंताण वंदणा विहिया / तित्थयरनामबंधणनिबंधणं जेण सुयणाणं. // 704 // भूयस्स भाविणो वा, भावस्सिह कारणं तु जं लोए। तं दव्वं सव्वन्नू, सचेयणाऽचेयणं बेंति // 705 // अप्पुव्वनाणगहणे, सुयभत्ती पवयणे पभावणया / एएहि कारणेहिँ, तित्थयरत्तं लहइ जीवो // 706 // एवं चउप्पयारा, अरहंता ताव वंदिया एए / संपइ कमपत्ताणं, सिद्धाण करेमि संथवणं // 707 // अहव चिइवंदणाओ, सिद्धत्तं जेहि पावियं पुव्विं / तप्पयलाभनिमित्तं, सिद्धे वंदामि ते इण्डिं जह गारुडिओ गरुडं, विज्जो धनंतर सया सरइ / / / विज्जासिद्धं विज्जाहरो वि इठ्ठत्तसिद्धत्थं // 709 // // 708 // 111