________________ पुव्वं व पारिऊणं, परमेट्ठीणं थुई अ काऊणं / देज्जा ऽणेगजिणाणं, थुई समुद्दामसद्देण // 650 // दंसणसुद्धिनिमित्तं, तित्थंकरवंदणा कया एसा / नाणविसुद्धिनिमित्तं, एत्तो वंदामि सुयणाणं // 651 // तं मिच्छसम्मभेया, दुविहं मिच्छसुयवज्जणट्ठाए / जेहिँ पणीयं सम्मं, नाणं ते वंदए एवं // 652 // उद्धारसागराणं, अड्डाइज्जाण जत्तिया समया / एत्थ किर तिरियलोए, दीवसमुद्दा उ एवइया // 653 // अभिंतरओ दीवो-दहीण पडिपुन्नचंदसंठाणो / जंबुद्दीवो लक्खं, विक्खंभायामओ होइ // 654 // तं पुण लवणसमुद्दो, परिखिवई दुगुणलक्खविक्खंभो / तं पुण धायइसंडो, तं दुगुणं तं च कालोओ // 655 // सो पुण पुक्खरदीवेण वेढिओ पुव्वदुगुणमाणेणं / / इय दुगुणदुगुणमाणा, सव्के दीवा समुद्दा य // 656 // तेसु किर तइयदीवो, सोलसलक्खप्पमाणविक्खंभो / पुक्खरवरो त्ति भन्नइ, तस्सद्धं पुक्खरवरद्धं // 657 // पायारसंठिएणं, परिखित्तं माणुसनगेणं / एयं मणुस्सखेत्तं, बाहिं, तिरिया य देवा य // 658 // पुक्खरवरदीवड्डे, धायइसंडे दुइयदीवम्मि / जंबुद्दीवम्मि य आइमम्मि सव्वेसि दीवाणं // 659 // पच्छाणुपुब्बियाए, निद्देसो एस खित्तगुरू यत्ता / भरहे-रवय-विदेहे, एस समाहारदंदो उ // 660 // एककं पञ्चगुणं, जम्हा भरहाइयाण एयाण / पनरससु कम्मभूमिसु, भावत्थो होइ एयस्स सीवाणां 107