________________ सागरवरो समुद्दो, सयंभुरमणो तओ वि गंभीरा / सिद्ध त्ति निट्ठियट्ठा, सिद्धिं मुत्तिं मम दिसंतु // 638 // जह एग चेइयगिहे, एगक्खेत्तुब्भवे जिणवरिंदे / आसज्ज कया एसाऽभिवंदणा भत्तिजुत्तेहिं // 639 // इय सव्वचेइयाण वि, कायव्वा वंदणा सुहत्थीहिं / सव्वे(वि) जिणेंदा एरिस त्ति पणिहाणजुत्तेहिं // 640 // वंदामि चेइयाइं, काउस्सग्गेण तो असेसाई / . इय उल्लसंतभावो, पुणो वि एवं समुच्चाइ // 641 // सव्वो त्ति निरवसेसो, उड्डाडहो-तिरियभेयपडिभिन्नो / लोगो त्ति खेत्तलोगो, सिद्धते सुप्पसिद्धं जं // 642 // आगासस्स पएसा, उड्डे च अहे य तिरियलोगे य / जाणाहि खेत्तलोगं, अणंतजिणदेसियं सम्मं // 643 // तत्थ किर उड्डलोए, चउरासी चेइयाण लक्खाई / सत्तामउइसहस्सा, तह तेवीसं विमाणा उ // 644 // सत्तेव य कोडीओ, हवंति बावत्तरी सयसहस्सा / अहलोए सासयचेइयाण नेया इमा संखा // 645 // जिणभवणाइं तिरियं, संखाईयाइँ भोमनगरेस। . जोइसियविमाणेसु य, तत्तो वि हु संखगुणियाई - // 646 // वासहर-मेरु-वक्खार-दहवई-माणुसुत्तरनगेसु / नंदीसर-कुंडल-रुयग-वट्टवेयड्डमाईसु // 647 // पंचदसकम्मभूमिसु, सासय-कित्तिमयभेयभिन्नाई / अरहंतचेइयाई, तिरियलोगम्मि तेसिमहं // 648 // अरहंतचेइयाणं, करेइ इच्चाइदंडगं पढिडं। .. पुव्विं व काउसग्गं, करेज्ज झाएज्ज मंगलगं . // 649 // 106