________________ तूसंति संथुया जे, नियमा रूसंति निंदिया ते उ / कह वीयरागसई, वहंति ? ते कह व थोयव्वा ? // 626 // अह ते न पसीयंति हु, कज्जं भणिएण ता किमेएण ? / सच्चं ते भगवंतो, विरागदोसा न तूसंति // 627 // भत्तिभंणिएण इमिणा, कम्मक्खउवसमभावओ तह वि / भवियाण सुकल्लाणं, कसायफलभूयमल्लियइ // 628 // नामेहि समुच्चरिया, कित्तिया वंदिया सिरोनमणा / / पुप्फाइएहि महिया, मय त्ति वा वायणा सुगमा // 629 // जे पच्चक्खा एए, लोगस्स सुरा-ऽसुराइरूवस्स। उच्छातमत्ता उत्तम त्ति सिद्धा सिवं पत्ता // 630 // रोगाभावं आरोग्गमाहु तस्साहु(ह) गो उ जो पेच्चा / बोहीलाभो जिणधम्मसंपया तं महं दितु // 631 // मणनिव्वुई समाही, तेण वरं देंतु बोहिलाभं मे / तस्स वि सव्वपहाणत्तसाहगं उत्तमं भणियं // 632 // आरोग्गबोहिला , समाहिवरमुत्तमं च मे दितु / किं न हु नियाणमेयं ? ति विभासा एत्थ कायव्वा // 633 // भासा असच्चमोसा, नवरं भत्तीऍ भासिया एसा / न हु खीणपेज्जदोसा, दिति समाहिं च बोहिं च // 634 // भत्तीऍ जिणवराणं, परमाए खीणपेज्ज-दोसाणं / आरोग्ग-बोहिलाभं, समाहिमरणं च पावेंति // 635 // सत्तमियाबहुवयणं, नेयं इह पञ्चमीएँ अत्थम्मि / / चंदेहितो. वि तओ, नायव्वा निम्मलतरा ते // 636 // आइच्चा दिवसयरा, तेहिंतो वि अहियं पयासयरा / / लोआलोउज्जोयगकेवलनाणप्पगासेण // 637 // - 105