________________ कुलदेवयाणुभावा, न सहइ सयणंतरस्स अन्नस्स / तत्थ य सुत्ता देवी, सहसा कुलदेवया नट्ठा // 578 // तुद्वेण तओ पिउणा, सेजं(ज्जं) सो एस जिणवरो भणिओ / तह होइ वासुपुज्जो, वसुपुज्जनिवस्स जमवच्चं // 579 // पूएइ वासवो जं जणणि गब्भट्ठियम्मि जिणनाहे / आणंदनिब्भरमणो, वत्थाहरणेहिं अणवरयं // 580 // तम्हा तिलोयपहुणो, पिऊणा तुद्वेण सयणपच्चक्खं / नाम पि वासुपुज्जो, पइट्ठियं भुवणसुपसिद्धं // 581 // अंगमलं कम्ममलं, विगयं दुविहं मलं जिणिंदस्स / विमलो त्ति तेण वुच्चइ, सव्वे वि हु किं न तो विमला?॥ 582 // अस्थि विसेसनिमित्तं, जह भणियं सुमइनाममायाए / पुत्तविवाए महिलादुगस्स नवरं अह विसेसो // 583 // रायंगणम्मि चिट्ठइ, एसो अहिणवसमुग्गओ भूओ। पुत्तो य मज्झ उदरे, अस्थि महाबुद्धिसंपन्नो // 584 // एसो जोव्वणपत्तो, इमस्स वरपायवस्स छायाए / एयं तुम्ह विवायं, छिदिस्सइ नेत्थ संदेहो // 585 // तत्तियमेत्तं कालं, ता चिट्ठह ताव निब्भुया तुब्भे / पडिवन्नममायाए, माया न खमइ मुहुत्तं पि // 586 // भणइ य फिट्टइ गेहं, एवं दुण्ह वि विभिन्नचित्ताणं / जं वा तं वादाओ अप्पिज्जइ देवि ! मम पुत्तो // 587 // नियमइ कोसल्लेणं, सामा नाऊण तासि परमत्थं / छिदइ तं ववहारं, पुव्वुत्तकमेण नीसेसं // 588 // एवं विमलं बुद्धिं, कयवम्मनराहिवेण नाऊण / एसो गब्भपभावो, सुयस्स विमलो कयं नाम // 589 // . 101