________________ सच्चमिणं किंतु फुडं, अन्नं पि हु एत्थ कारणं अस्थि / एयस्स ऊरुजुयले, तवियसुवनुज्जलं धवलं . // 542 // अन्नोन्नाभिमुहं किर, वसहजुगं लंछणं रुइरमासि / .... सुमिणम्मि पढममुसभो, चोदससुमिणाण मज्झम्मि * * // 543 // दिवो मरुदेवीए, तेण कयं उसहनाममेयस्स / तुटेणाऽमरवइणा, अन्नेसिं पुणं ठिई एसा // 544 // गय-वसह-सीह-अभिंसेय-दाम-ससि-दिणयरं ज्झयं कुंभं / पउमसर-सागर-विमाण-भवण-रयणुच्चय-सिहिं च // 545 // परिवाडीइ इमाए, जणणीओ सुमिणयाइँ पेच्छंति / . गब्भावयारसमए, तित्थंकर-चक्कवट्टीणं // 546 // इंदिय-विसय-कसायाइएहिँ घोरंतरंगवेरीहिं / / . न जिओ मणयं पि जओ, भनइ अजिओ जिणो तेण // 547 // अन्ने वि तेहि नं जिया, अजिया तो ते वि किं न उच्चंति ? / भन्नइ विसेसकारणमन्नं पि हु भगवओ अस्थि // 548 // जियसत्तुनिवेण समं, कीलंती अक्खजूयकीलाए। न कयाइ जयं पत्ता, विजया देवी पुरा काले // 549 // गब्भगए भगवंते, न जिया ईसि पि सा नरेंदेण / जायस्स तेण पिउणा, अजिओ त्ति पइट्ठियं नाम // 550 // सं सोक्खं ति पवुच्चइ, दिद्वे तं होइ सव्वजीवाणं / तो संभवो जिणेसो, सव्वे वि हु संभवा एवं // 551 // भन्नति भुवणगुरू णो, नवरं अन्नं पि कारणं अस्थि / .. सावत्थीनयरीए, कयाइ कालस्स दोसेण / // 552 // जाए दुब्भिक्खभरे, दुत्थीभूए जणे समत्थे वि। . अवयरिओ एस जिणो, सेणादेवीए उयरम्मि . // 553 //