________________ लोगस्सुज्जोयगरा, चंदाईया वि तेण भन्नति / तेसि वोच्छेयत्थं, भणियमिणं धम्मतित्थगरे // 530 // नइमाईओयारं, धम्मत्थं जे कुणंतीह सुगमं / ते वि हु जणे पसिद्धिं, लहंति किर धम्मतित्थयरा // 531 // तेसिमजिणत्तभावा, विसेसणं इह जिण त्ति निद्दिटुं / ते उण छउमत्थजिणा वि हुंति तो केवली भणिया // 532 // केवलनाणगुणाओ, सामन्ना वि हु हवंति केवलिणो। तेसि अइसायणत्थं, अरहते इय पयं भणियं // 533 // नामाइभेयभिन्ना वि, जिणवरा संभवंति अरहंता / भावारिहंतपडिवत्तिकारयं केवली-वयणं . // 534 // एवं खलु अन्नोन्नं, कायव्वा चालणा पइट्ठा उ / बुद्धिनिउणेहि इहयं, दिसिमेतं दरिसियं एवं // 535 // एसो संखेवेणं, पढमसिलोगस्स भासिओ अत्थो / वित्थरओ घेत्तव्यो, सिद्धंतमहानिहाणाओ . // 536 // अट्ठट्ठ उ नामाई भणियाई एक्कमेक्कगाहाए / चउवीसत्थयसुत्ते, चउवीसाए जिणवराणं // 537 // जं पुण वंदइ किरिया-भणणं सुत्ते पुणो पुणो एत्थ / आयरपगासगत्ता, पुणरुत्तं तं न दोसगरं - // 538 // एएसि नामाणं, जे अत्था कारणाइं जाई वा। इच्छामि नाउमेयं, पुच्छइ सीसो गुरू आह // 539 // उसंहो पहाणवसहो, दुबहभरवहणपच्चलो होइ / इय दुव्वहंधम्मधुरावहणखमो तो जिणो उसहो // 540 // जइ वा वसो ति धम्मो, भावइ दढं तेण तो भवे वसभो / जइ एवं सव्वे वि हु, वसहा किर किं न भन्नति ? // 541 //