________________ तित्थं जेण तरिज्जइ, दव्वे नइ-सागराण ओयारो / जेणुत्तरंति लोया, सुहेण समभूमिरूवेण // 518 // तं कह णु दव्वतित्थं, जम्हा नेगंतओ तहिं तरणं ? / .. जं तेणा वि पइट्टा, बुड्डता केइ दीसंति // 419 // अच्चंतियं पि नो तं, पुणो पुणो तत्थ तरणसंभवओ। . तम्हा तब्वियरीयं, विनेयं भावंओ तित्थं // .420 // तरणिज्जे भवजलही, तित्थं तु चउव्विहो समणसंघो / जे केइ भव्वजीवा, तरणत्थी तारुआ ते उ // 421 // एयम्मि संपविट्ठा, तरंति संसारसायरं नियमा / / तिन्नो पुण भवजलही, न होइ भुज्जो वि तरियव्वो // 422 // दाहोवसमं तण्हाइच्छेयणं मलपवाहणं चेव / तिहिँ अत्थेहिँ निउत्तं, तम्हा तं दव्वओ तित्थं // 423 // कोहम्मि उ निग्गंहिए, दाहस्सुवसमणभावओ तित्थं / लोहम्मि उ निग्गहिए, तण्हावोच्छेयणं होइ // 424 // अट्ठविहं कम्मरयं, बहुएहिँ भवेहिँ संचियं जम्हा / तव-संजमेण धोयइ, तम्हा तं भावओ तित्थं // 525 // इय भावधम्मतित्थस्स करणसीले जिणे ति एसत्थो / जियरागदोसमोहे, अरहते कित्तइस्सं ति // 526 // चउवीसं ति य संखा, भारहवासुब्भवाण अरहाणं / अवि सद्दाओ वंदे, महाविदेहाइपभवे वि // 527 // कसिणं केवलकप्पं, लोगं जाणंति तह य पासंति / . केवलचरित्तनाणी, तम्हा ते केवली हुंति // 528 // जह पडदेसम्मि पडो, गामो वा गामएगदेसम्मि। . लोगस्स एगदेसे, वट्टइ तह लोगसद्दो वि . // 529 // GS