________________ एए सामन्नेणं, दोसा एगवीस होंति उस्सग्गे। अहिगारिविसेसाओ, केइ कस्सइ न हि घडंति . // 494 // लंबुत्तर-थणछायण, संजइदोसा न हुंति समणीणं / .. वहुलंबुत्तर-थणछायणं च दोसा न सड्डीणं // 495 // खलिण-कविट्ठदुगं पुण, अगीइसेहाइयाण संभवई / संभवइ गिहत्थाण वि, कयाइ एमऽत्तभावम्मि // 496 // इय दोसविप्पमुक्को, उस्सग्गे चिंतिऊण मंगलगं / भणिऊण नमोक्कारं, पारइ विहिणा असंभंतो // 497 // परमेट्ठिनमोक्कार, सक्कइभासाइ भणइ थुइसमए / पुरिसो न चेव इत्थी, पायइभासानिबद्धं पि // 498 // जइ एगो देइ थुई, अहऽणेगे तो थुइं पढइ एगो / अन्ने उस्सग्गट्ठिया, सुणंति जा सा पस्सिमत्ता // 499 // एत्थ य पुरिसथुईए वंदइ देवे चउव्विहो संघो / इत्थीथुइए दुविहो, समणीओ साविया चेव // 500 // बिंबस्स जस्स पुरओ, पारद्धा वंदणा थुई तस्स / चेइयगेहे सामन्नवंदणे मूलबिंबस्स . // 501 // जेसि भावजिणाणं, विहियं सक्कत्थएण संथवणं / जेसिं च चेइयाणं, कओ मए वंदणुस्सग्गो // 502 // तेसिं भुवणगुरूणं, ससुरासुरमणुयवंदियकमाणं / नामाणुकित्तणेणं, करेमि सुकयत्थमप्पाणं // 503 // अहवा भारहवासे, एए आसन्नकालभावित्ता / आसन्ना मे उवयारहेयवो उसहपमुहजिणा // 504 // तम्हा जुज्जइ विहिणा, सविसेसमिमेसि वंदणं काउं / . नामुक्कित्तणपुव्वं, करेमि ता गरुयभत्तीए . // 505 // 94