________________ // 476 // किंतु जिणसासणे इह, गुरु -गुरुतरगा वि होंति उस्सग्गा / पक्ख-चउम्मासगाइसु, भासियमेयं जओ सुत्ते .. // 472 // सायसयं गोसि ऽद्धं तिन्नेव सया हवंति पक्खम्मि। .. पंच य चाउम्मासे, अट्ठसहस्सं च वरिसम्मि। // 473 // कारणनियमविसेसा, एत्तो ऊणाहिया वि विज्जंति / सव्वेसि तेसि करणे, एगो च्चिय दंडओ एसो // 474 // नूणं तयत्थमेए, परूविया बहुविहा वि अववाया / नवकारपढणसीमाकरणे पुण एस भाक्त्थो // 475 // पुन्नम्मि वि उस्सग्गे, अभणियनवकारपारणे भंगो / . भणिए वि तम्मि भंगो, नियनियमाणे अपुनम्मि ता सव्वं निरवज्जं, दंडयसुत्तं इमं मुणेयव्वं / कायव्वो उस्सग्गो, दोसविमुक्को इमे ते उ // 477 // घोडग 1 लया 2 य खंभे 3, कुड्डे 4 माले य 5 सबरि 6 वहु 7 नियले 8 लंबुत्तर 9 थण 10 उद्धी 11, .. संजय 12 खलिणे य 13 वायस 14 कविढे 15. // 478 // सीसोकंपिय 16 मूई 17, अंगुलि 18 भमुहा य 19 वारुणी 20 पेहा 21 / नाभीकरयलकुप्परऊसारियपारियम्मि थुई // 479 // आसो ब्व विसमपायं, गायं ठावित्तु ठाइ उस्सग्गं / कंपइ काउस्सग्गे, लय व्व खरपवणसंगेण // 480 // खंभे वा कुड्डे वा, अवथंभिय कुणइ काउस्सग्गं तु / . माले व उत्तमंगं, अवर्थभिय कुणइ (ठाइ) उस्सगं. // 481 // 2