________________ // 460 // // 461 // // 462 // // 463 // // 464 // // 465 // अह सत्तमविरईए, चउरो आलावगा इमे होति / जाव य अरिहंताणं, भगवंताणं च इच्चाई जाव यं सद्दो अवधारणम्मि कालप्पमाणविसयम्मि / अरहंता भगवंता, भणियसरूवा इमेसिं च il, भाणयसरूवा इमसि च होउ नमो अरहंताणं ति एवंरूवो भवे नमुक्कारो / तेणं ति तदुच्चारणपुव्वमहं जा न पारेमि ताव त्ति तप्पमाणं, कालमहं वोसिरामि अप्पाणं / पयसंबंधो एसो, केहि पुणो करणभूएहिं ? काओ देहो तस्स उ ठाणं उड्डाइणा पगारेण / संठवणमेत्थं पुण, उद्धट्ठाणं खलु पहाणं तेण उ उस्सग्गेणं, उस्सग्गो एस मज्झ दट्ठव्वो / मोणेण उ वायाए, निरोहरूवेण करणेण / झाणेण पंचपरमेट्ठिसंथुईपमुहवत्थुचिंताए / किरियातिगेण सहिओ, अप्पाणं वोसिरामि त्ति कायं च वोसिरामी, ठाणाईए हिँ करणभूएहिं / अप्पाणं ति य निययं, पयघडणा होइ एवं पि एत्थ उ भणेज्ज कोइ, निरत्थया खासियाइआगारा / भणिऊण नमुक्कार, करेइ खासाइचेट्ठाओ नवकारपाढमेरो, काउस्सग्गो इहं पडिनाओ।। तं पुण साहीणं चिय, किं पुण आगारकरणेण ? ऊससियं नीससियं, मोत्तुं अंगाइसुहमचलणं च / सेसा णिरत्थय च्चिय, आगारा एत्थ गुरुराह सच्चमिह वंदणाए, अट्ठस्सासंतकाउसग्गेसु / सहज-निओगजवज्जा, पायं न घडंति आगारा 1 // 466 // // 467 // // 468 // // 469 // // 470 // // 471 //