________________ // 7 / 206 // // 7 / 207 // // 7 / 208 // // 7209 // // 7210 // // 7 / 211 // रथनेमिर्मया भग्नो नलो नीलः कृतो मया / क्षपकर्षिर्मया क्षुण्णः शशो विशसितो मया मयाभिभूतः संभूतो बद्धो बाहुबली मया / मया महाबलो म्लान: केशरी क्लेशितो मया एवं भटैर्भुजास्फोटपूर्वं मोहचमूचरैः / इतरेतरमारेभे स्वस्वविक्रमवर्णनम् अहं शिवकुमाराख्यमहं ताह्मध्वजानुजम् / चैलातेयमहमहं नयसारधनादिकान् अहं नागमहं मेघमाकर्षं भावशात्रवात् / तथाहमतिमुक्तर्षिमहं च कपिलं द्विजम् एवं सैन्ये विवेकस्याप्यवक्तं स्वस्वविक्रमम् / . व्याचक्षाणाः समुद्भूतं शौर्यं शूरा अदीदृशन् अथासंविनिशानाशे प्रकाशे तत्त्वभास्वति / . सर्वे ते समनह्यन्त वैरिवारविदारणे तावद्बोधमहायोधः स्फुरत्क्रोधो विरोधिषु / मोहसेनाचरान् कांश्चिद्दर्शदर्शमकुट्टयत् सामायिकादिषट्कर्मकर्मठेन पुरोधसा / जग्रसे भूयसी मोहसेना भेकीव भोगिना अथ तैः क्षपक श्रेणिरिति क्षेत्रं रणोचितम् / व्यधीयत प्रयत्नेनापास्तक्लेशद्रुमाङ्कुरम् प्रसत्तिमर्चतीं शुभ्रामध्यास्योत्तस्थिवानथ / आत्तसर्वसहत्वास्त्रः शमः समरकर्मणे अपूर्वकरणं प्राप्य क्रोधस्तेनाशु हक्कितः / रे मूढ नश्य कस्य त्वं बलाज्जीवितुमिच्छसि / 280 // 7 / 212 // // 7213 // // 7214 // // 7215 // // 7 / 216 // // 7 / 217 //