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________________ // 788 // // 789 // // 7 / 90 // // 791 // // 792 // // 7 / 93 // योऽयं सारपरीवार: पार्श्वत: संगतोऽस्ति मे। रणे रिपुमपिष्ट्वाहं जीवंस्तेभ्यस्त्रपे न किम् एवं निश्चयमाकर्ण्य विवेकस्य महात्मनः / यथागतं गताः सन्धिपाला अकृतसन्धियः अथ प्रतिक्षणोल्लासिरणाशाविकसत्तनुः / सैन्यानदैन्यालम्बिन्या वाचा प्रोचे विवेकराट् हंहो नः सह मोहेन युद्धं तावदुपस्थितम् / युद्धमेव हि शूराणां सत्त्वस्वर्णकषोपल: आरेभे युद्धकर्मेदं सहायानां बलेन वः / स. मोहः सोऽहमेतावदन्यथा किं विलम्बितः लावण्यपुण्यकन्याया विवाहे न तथोत्सवः / . वीराणां रणवेद्यन्तर्जयश्रीवरणे यथा / वीराणां वपुषः शोभा न तथा चन्दनद्रवैः / . युद्धे यथायुधाघातस्रवदत्रभरप्लवैः हारार्द्धहारकेयुरैर्न तथा मोदते मनः / समरे संमुखैः शस्त्रप्रहारैर्दोष्मतां यथा न हि बाहुभवाः प्राहुस्तीर्थमाहवतः परम् / . यत्र सत्त्वाधिका देवभूयं यान्ति गतासवः . अङ्गनागजराज्य श्रीस्पृहया क्षत्रिया रणम् / विशन्तो नैव रुध्यंते वीरुधेव वनं गजाः खद्गतालैर्धनुर्वानस्फुरन्मुरजनिःस्वनैः / रणरङ्गे नरीनति वीराणां कीर्तिनर्तकी तावत्प्रियतमाः प्राणा यावद्दूरे द्विषद्बलम् / दृष्टे द्विषबले प्राणांस्तृणीयन्ति मनस्विनः // 794 // // 795 // // 796 // // 797 // // 798 // // 799 //
SR No.004459
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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