________________ वत् / काले वर्षन्ति नाम्भोदा अकाले कृतवृष्टयः / इभ्याः पराङ्मुखाः पात्रे कुपात्रे कुर्वते व्ययम् // 6 / 123 // पुंसां स्नेहः सधर्मिण्यां विषयार्त्तिशमावधिः / पोषणावधिरत्रास्या धूर्तमैत्री द्वयोः कलौ // 6 / 124 // स्वार्थसिद्ध्यवधिमैत्री नियमः संकटवधिः / काठिन्यावधि सम्यक्त्वं ख्यातिलाभावधिः क्रिया // 6 / 125 // पुराणि ग्रामवद्ग्रामा अपि नाहलवासवत् / नागरा ग्राम्यवद्ग्राम्या भूतवज्जज्ञिरे कलौ // 6126 // करदाश्चौरवज्जाताः कुलजा अपि षिङ्गवत् / कुलवध्वोपि वेश्यावद् गतिवेषस्मितादिभिः // 6 / 127 // भूरल्पसस्या गावोऽल्पक्षीरा अल्पफला द्रुमाः / . अल्पवासा जनपदा अल्पतोया जलाशयाः // 6 / 128 // पैशुन्यबहुला वाचः कन्यकाबहुलाः प्रजाः / / आरम्भबहुला वृत्तिळवायबहुलं सुखम् // 6 / 129 // अनमर्षं तपो धर्मो निर्दम्भो निर्मदं श्रुतम् / क कलौ श्रीरकार्पण्या निर्विकारं च यौवनम् // 6 / 130 // इत्याप्तावसरेऽवन्यां वन्यां दावाग्निवत्कलौ / स को गुणैर्घनो योऽधात्तन्निर्वापणनैपुणम् . // 6131 // इताच गुणगम्भीरवीरश्रीहृदयप्रियः। . कुमारपालभूपालोऽवततारावनीतले . // 6 / 132 // जेता श्वेताम्बराचार्योपदेशाद्विषमद्विषः / व विहारच्छलात्तेने स्वान् यश:स्तबकान् भुवि // 6133 // मज्जाजैनेन येनोच्चै राजर्षिख्यातिमीयुषा / . अष्टादशसु देशेषु मारिशब्दोऽपि वारितः // 6134 // . .. 257