________________ इक्कं पि नत्थि जं सुट्ठ सुचरियं जह इमं बलं मज्झ / को नाम दढक्कारो, मरणंते मंदपुण्णस्स? // 468 // सूल-विस-अहि-विसूई-पाणी-सत्थग्गि-संभमेहिं च / / देहंतरसंकमणं, करेइ जीवो मुहुत्तेण - // 469 // कत्तो चिंता सुचरियतवस्स गुणसुट्ठियस्स साहुस्स? / सोगइगमपडिहत्थो, जो अच्छई नियमभरियभरो // 470 // साहति अ फुडविअडं, मासाहससउणसरिसया जीवा / न य कम्मभारगरुयत्तणेण तं आयरंति तहा // 471 / / वग्घमुहम्मि अहिगओ, मंसं दंतंतराउ कड्डेइ। . . मा साहसंति जंपइ करेइ न य तं जहाभणियं // 472 // परिअट्टिऊण गंथत्थवित्थरं निहसिऊण परमत्थं / तं तह करेह जह तं, न होइ सव्वं पि नडपढियं // 473 // पढइ नडो वेरग्गं, निविज्जिज्जा य बहुजणो जेण। पढिऊण तं तह सढो, जालेंण जलं समोअरइ . कह कह करेमि कह मा करेमि कह कह कयं बहुकयं मे। जो हिययसंपसारं, करेइ सो अइकरेइ हियं // 475 // सिढिलो अणायरकओ, अवसवसकओ तहा कयावकओ। सययं पमत्तसीलस्स, संजमो केरिसो होज्जा? // 476 // चंदु व्व कालपक्खे, परिहाइ पए पए पमायपरो / तह उग्घरविघरनिरंगणो य ण य इच्छियं लहइ // 477 // भीओव्विग्ग निलुक्को, पागडपच्छन्नदोससयकारी। . अप्पच्चयं जणंतो, जणस्स धी जीवियं जियइ न तर्हि दिवसा पक्खा, मासा वरिसा वि संगणिज्जंति / जे मूलउत्तरगुणा, अक्खलिया ते गणिज्जंति // 479 // // 474 // // 478 // 40