________________ भवस्ने जीवमओ जो गहिओ तेण मरणसीहेण / . असमत्था मोएउं सयणा देवा य इंदा वि . // 108 // तुम्हं महल्लयाई खइयाइं जेण कालसप्पेण / सो किं कह वि पलाओ मउव्व वीसत्थया जेणं // 109 // जरकेसरवीहत्थाओ, दढदाढादुप्पिच्छओ। वयणकररुहिरभिदओ, वियरइ मरण मइंदओ // 110 // जो जीवदयाअजुत्तए, दारुणए मंसरसपुच्छए / परदुक्ख अयाणमाणए, से पुरिसे जयऽपूयमिज्जए // 111 // जइ रक्खइ नेय अलियए, नियधणं नियकलत्तए। जह तह वि ण एव रक्खए, ता किं पावइ कोइ सुक्खए? // 112 / / जइ इच्छह सयलसुक्खए, अह सायहुं परममुक्खए। ता होह दयाए जुत्तए, करह य जिणाण वुत्तए // 113 // सो सव्वस्स वि पुज्जो सव्वस्स वि हिययआसमो होइ। जो देसकालजुत्तं पियवयणं जाणएं वुत्तुं // 114 // जंकल्ले कायव्वं अज्जं चिय तं करेह तुरमाणा। .. बहुविग्यो य मुहुत्तो मा अवरोहं पडिक्खेह // 115 // 328