________________ // 96 // // 97 // // 98 // // 99 // // 100 // // 101 // जो जीवदयाजुत्तो तस्स सुलद्धो य माणुसो जम्मो / जो जीवदयारहिओ माणुसवेसेण सो पसुओ अहवा दूरपणट्ठो संपइए सवत्तणस्स सो पुरिसो। जो जीवदयाजुत्तो करेइ जिणदेसियं धम्म सीये उण्हे य तवं जइ तप्पइ उद्धबाहु पंचग्गी / दाणं च देइ लोए दया विणा नत्थि से किंचि थेवो वि तवो थेवं पि दिन्नयं जं दयाए संजुत्तं / तं होई असंखगुणं बीयं जह वाससंपत्तं एक्का वि जेण पत्ता नियदेहे वेयणा पहारेहिं / न कुणइ जइ जीवदया सो गोणो नेय माणुस्सो जं नारयाण दुक्खं तिरियाणं तह य माणुसाणं च।. तं जीवपीडजणियं दुव्विसहं होह लोयम्मि कालो अणाइणिहणो जीवो दव्वगुणेहिं अविणासी / तो मा कीरउ पावं जण ! जीवदयालुया होई . जा कीरइ जीवदया अव्वो कि होरएण जीवाणं? / दुक्खाण अणागमणे तह सुक्खाणं अयाण मणे सो होइ बुद्धिमंतो अलिएण न जो परस्स उवघाई। सो होई सुही लोए जो खाई न मज्जमंसाई सो पंडिओ त्ति भन्नइ जेण सया नेय खंडियं सीलं / सो सूरो चारहडो इंदियरिवु निज्जिया जेण रिद्धो जुब्वणगामा रइसुहसोहग्ग सव्वयं सीलो। सो जरधाडी इयओ मयरद्धयराइणो मड्डु ? सयणस्स वि मज्झगयं ओयरिउं लेइ मड्डुबालेहिं / मारेइ नवरि मिल्लइ घोरजरारक्खसी पुरिसं . 327 // 102 // // 103 // // 104 // // 105 // // 106 // // 107 //