________________ // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // जम्हा उ जे अलोहा, गुरुणो भवसायरे पवहणं व। अप्पाणम्मि परम्मि य, हवंति ते तारगा नन्ने जह अज्जसुहत्थींणं, गुरूणं गुरुयप्पसायमाहप्पा / पत्ता संपइरन्ना, निरुवम सुक्खाण रिंछोली अक्खुद्दाइगुणेहिं जुत्तो जुग्गो हवइ धम्मस्स / तस्स इमो दायव्वो, सुगुरूहि जहोचियं धम्मो जुग्गस्स होइ धम्मो, गोदिन्नतिणं व परमपयहेउ / स पुण अजुग्गस्स विसं, सप्पोयर खित्तखीरं व सुगुरूवएसलेसं पि, पाविउं के वि हुंति दृढधम्मा। जुग्गत्ताओ निवपुत्त वंकचूलुव्व आजम्म एसो धम्मो भणिओ, चउव्विहो जिणवरेहिँ दुविहो वा। दाणाइभेयभिन्नो पढमो इत्थं विणिद्दिट्ठो पत्ते सुद्धं दाणं, विमलं सीलं तवो निरासंसं / सुद्धाउ भावणाओ, इय होई चउव्विहो धम्मो सुद्धं दाणं जे दिति, भत्तिजुत्तं सुसाहुपत्तेसु / ते इह जम्मे वि सिरीण, भायणं मूलदेवु व्व जे अकलंक सील, धरंति तियलोयजणियजयघोसं। ते हुंति निवाईण वि, नमसंणिज्जा सुभद्द व्व छट्ठमाइतवजणियलद्धिमाहप्पओ महासत्ता / जिणसासणुनइकरा, विण्हुकुमारु व्व सिझंति भावणभावियमइणो, गिहिणो वि लहित्तु केवलं नाणं / परमपयं संपत्ता के वि इलापुत्तनाएण साहुगिहिधम्मभेया, दुविहो धम्मो य तत्थ जइयव्वं / पढम जईण धम्मो, गिहिधम्मो-तदसमत्थेहि // 30 // // 31 // // 32 // // 33 // // 34 // // 35 // 285