________________ // 48 // // 49 // // 50 // // 51 // // 52 // // 53 // अहमाहमेहिं नामायरियउवज्झायसाहुलिंगेहि। . जिणघरमढआवासो पकप्पिओ सायसीलेहिं . तो सुत्तविमुहगड्डरिपवाहमित्ताणुसारिचरिएहिं / हिंगुसिवोदाहरणेण इय परं खाइमुवणीओ अण्णाणियमच्छरदूसिएहि परजीविएहि पावेहिं / गिहिसंजयवेसविडंबगेहि मुद्धोवजीवीहिं जा जस्स ठिई जा जस्स संतई पुव्वपुरिसकयमेरा / सो तं अइक्कमंतो अणंतसंसारिओ होइ / एमाइ पदंसेउं मुद्धजणं पाडिऊण अप्पवसे / / उवजीविज्जइ जेहिं एगभवं बहुगुणं काउं तेसि न जुत्तं चरणं न य सम्मत्तं न देसचारितं / समणगुणमुक्कजोगी संसारपवड्ढगा भणिया दोसेण जस्स अयसो आयासो पवयणे य अग्गहणं / विप्परिणामो अप्पच्चओ य कुच्छा य उप्पज्जे . पवयणमणपेहंतस्स तस्स निद्धंधसस्स लुद्धस्स / बहुमोहस्स भगवया संसारोऽणंतओ भणियो परिवारपूयहेउं उसन्नाईण वाऽणुवत्तीए। चरणकरणं निगृहइ तं दुल्लहबोहियं जाण ओसण्णो वि विहारे कम्मं सिढिलेइ सुलभबोही य / चरणकरणं विसुद्धं उववूहंतो परूवितो सुहसीलतेणगहिए भवपल्लिं तेणजगडियमणाहे / जो कुणइ कुंढियत्तं सो वण्णं कुणई संघस्स सीयलविहारओ खलु अरहंतासायणा निओगेणं / तत्तो भवो अणंतो किलेसबहुलो जओ भणियं 268 // 54 // // 55 // // 56 // // 57 // . // 58 //