________________ आया सुही [प]वरचित्ततवोवहाणो, नायं च नंदणभवे जिणवद्धमाणो / आया दुहीं मुणिजणाइ दुगंछमाणो, अक्खाणयं सुभमई-धणपुत्तियाणं | // 140 // दुविहो परोवयारो दव्वे भावेण होइ जयसारो।। पढमो स णाइ (सुयणाणाइ?) जं उवयरणं धम्मिजीवाणं // 141 // नाणेण दंसणेणं चरणेण य भावओ य धम्मेणं / धम्मोवगरणएणं उवयरणं धम्मिजीवाणं // 142 // रिसहो दुहा वि लोए झायव्वो तिहुयणस्स उवयारी / सव्वकला सिप्पसयं दाउं लोआण उवयरियं // 143 // धणकंचणकोडीओ दाऊण जहिच्छियं च लोगाणं / भावेण य सिवमग्गं उवयरियं जेण जगगुरुणा // 144 // उवयारो तणुसारो उवयारो होइ धम्मआहारो / . उवयारो हियकारो उवयारो तित्थउद्धारो . // 145 // तेणुवयारो सारो उवयारो उत्तमाण आयारो / आहरण धरणकुमरो पत्तो जह कित्तिवित्थारं // 146 // कहं तुम कामगुणेहिं सुसंगो (संगो), धुत्तेहिं वा मित्तसहावसंरओ। जेहिं तुमं जीव अणेगसो मओ, हा ! सासओ मूढ ! असासओ कओ सद्दाइया कामगुणा खणिक्का दाऊण ते .तुज्झ ममत्तभावं / गएहि किं कंदसि रे वराय ! हा हा ! सुधुत्तेहिं व धुत्तिओसि // 148 कामंधिओ किं पभमेसि भुल्लो सदोसपिंडेण पफुल्लगल्लो / मायाइसल्लेण सया ससल्लो अन्नाणदोसेण बइल्लतल्लो // 149 // आया सुही विसयसल्लविसल्लचित्तो, सईमईइ रहनेमिमुणि व्व गुत्तो / आया दुही विसयपावगडज्झमाणो दिटुंतओ अरहदत्तकलत्तठाणो 150 261