________________ // 48 // // 49 // // 50 // // 51 // // 52 // // 53 // इत्थिजणसंगरहियं पसुपंडयविप्पमुक्कमइविउलं / दिज्जाणवज्जसिज्जं समणाणं विहियमप्पकए पंचसमियाण गुत्तौजुयाण जो देइ वसहिवरदाणं / तेणण्णाई सयलं दिण्णं वुत्तं जओ सुत्ते जो देइ उवस्सयं मुणिवराण तवणियमबंभजुत्ताणं / तेण दिण्णा वत्थण्णपाणसयणासणवियप्पा तवसंजमसज्झाओ णाणब्भासो जणोवयारो य / सो साहूणमवग्गहकारी सज्झायरो तस्स . पावइ णरसुररिद्धी सुकुलुप्पत्ती वि भोगसामग्गी / णित्थरइ भवं सगारी सिज्जादाणेण साहूणं सिरिअज्जसुहत्थीणं विइण्णसिज्झापयाणउ लद्धे / णलिणीगुम्मविमाणं अवंतिसुकुमालवरवणिणा संथारपायपुंछणसयणासणपीढफलगपमुहाई / . सकए कयाई जइणो विहिणा वियरिज्ज पुण्णट्ठा चंदणवणिणा मुणिणो एरिसवत्थूण दाणमाहप्पा / अणुहविय णरसुरसिरिं विभूसयं सासयं ठाणं वरचरणकरणधारणणिरयाणं रागरोसरहियाणं / सुस्सूसणाइकरणं निवारणं सयलदुरियाणं सिरिबलिभद्दमुणीसरसंसेवणदाणओ मिगेणावि / जं बंभलोयपयवी पत्ता तं किं ण चुज्जकरं दोसापहारयं दिणयर व्व रयणायरं सुमेरु व्व / वंछियपयत्थसत्थाण साहणं कप्परुक्खु व्व सुगुरुचरणकमले वंदणदाणं विणिम्मियं संतं / वियरेइ णरसुरसिरि जह दुग्गयणामणिगमस्स // 54 // // 55 // // 56 // // 57 // 58 // // 59 // 330