________________ इय सुयरयण-महोयहि-थेराणुकित्तणं दुह-विणासं / विमलगुणं पढमाणो लहइ नरो सासयं ठाणं .. // 118 / / ग्रन्थकार-गुरुपरम्परा-प्रशस्तिः एसा थेरावलिया जा पुव्व-मुणीहिं वीरजिण-भणिया / सेसावलियं इण्डिं अहयं भणामि तं सुणह // 119 // .. अह देववायगाओ समइक्तेसु णेगसूरीसु। मिच्छत्त-तिमिर-सूरो वडसरो आसि खमासमणो // 120 // तस्स जय-पायड-जसो पंचविहायार-सुट्टिओ सीसो / . जिण-पवयण-गयण-ससी तत्तायरिउ त्ति सुपसिद्धो // 121 // तस्स वि पहाण-सीसो नामेणं जक्खमयहरो आसि। ... खट्ठउयम्मि निविटुं जिणभवणं जेण सुप्रसिद्धं // 121 // तस्स तव-तेय-रासी दुसमा-नरनाह-सीस कय-सूलो। ' भव्वारविंद-भाणू कण्हमुणी आसि से सीसो // 122 // अवयरण-जम्म-निक्खमण-नाण-निव्वाण-जिणवर-धराओ / संघ-सहिएण जेणं नमियाओ भारहे बहुहा // 123 // इगमासिय-दोमासिय-तेमासिय-चउमासियाणि खमणाणि / काय-किलेसेण विणा कयाणि जिणकप्पिएणं व // 124 // सुर-मणुय-तिरिय-गह-भूय-रोग-उवसग्ग-मारि-रिउ-जणियं / चोराहि-य(म)त्त-पत्थिव-दुस्सुमिणासउण-विहियं च // 125 // भत्तीय(इ) नाम-गहणेण जस्स पुरिसाण झत्ति खयं नेइ / . तरणि-कर-नियर-भिण्णं तम-तिमिरं कत्थ संवाओ ? // 126 // दिव्वाइ-बहुविहेहि य मसाणभूमीसु सव्वराईए / उवसग्गेहि महप्पा न चालिओ जो सुमेरु व्व // 127 // / 230