________________ जह वणदवो वणं दवदवस्स जलिओ खणेण निद्दहइ / एवं कसायपरिणओ, जीवो तवसंजमं दहइ // 132 // परिणामवसेण पुणो, अहिओ ऊणयरओ व हुज्ज खओ। तह वि ववहारमित्तेण, भण्णइ इमं जहा थूलं // 133 // फरुसवयणेण दिणतवं, अहिक्खिवंतो अ हणइ मासतवं / वरिसतवं सवमाणो, हणइ हणंतो अ सामण्णं . // 134 // अह जीविअं निकितई, हंतूण य संजमं मलं चिणइ। जीवो पमायबहुलो, परिभमइ अ जेण संसारे . // 135 // अक्कोसणतज्जणताडणा य अवमाणहीलणाओ अ। मुणिणो मुणियपरभवा दढप्पहारि व्व विसहंति // 136 // अहमाहओ त्ति न य पडिहणंति सत्ता वि न य पडिसवंति। मारिज्जंता वि जई, सहति सहस्समल्लुव्व // 137 // दुज्जणमुहकोदंडा, वयणसरा पुव्वकम्मनिम्माया। साहूण ते न लग्गा, खंतीफलयं वहताणं // 138 // पत्थरेणाहओ कीवो, पत्थरं डक्कुमिच्छइ। मिगारिओ सरं पप्प, सरुप्पत्ति विमग्गइ // 139 // तह पुव्विं किं न कयं न बाहए जेण मे समत्थो वि? / इण्डिं किं कस्स व कुप्पिमुत्ति धीरा अणुप्पिच्छा // 140 // अणुराएण जइस्स वि, सियायपत्तं पिया धरावेइ / तह वि य खंदकुमारो, न बंधुपासेहिं पडिबद्धो // 141 // गुरु गुरुतरो अ अइगुरु, पियमाइअवच्चपियजणसिणेहो। . चिंतिज्जमाणगुविलो, चत्तो अइधम्मतिसिएहिं // 142 // अमुणियपरमत्थाणं बंधुजणसिणेहवइयरो होई। अवगयसंसारसहावनिच्छयाणं समं हिययं ' // 143 //