________________ // 49 // तत्थ य अभयपयाणं, किज्जइ भयविहुरियाण जीवाणं / भन्नइ भयं तु मरणाउ नावरं चाउरंतभवे // 44 // रक्खंति य मरणभयं, पाणीण दयावरा नरा सम्म। तम्हा धम्मरहस्सं इक्क च्चिय होइ पाणिदया * // 45 // पाणिती जीवंती जं, तेणं पाणिणो इहं जीवा। / सा होइ दया जं पुण, तेसि हिंसाइ परिहारो / 5 // 46 // हिंस च्चिय नणु न घडइ, अणाइनिहणस्स ताव जीवस्स / तयभावे कहं णु दया ?, गामाभावे जहा सीमा // 47 // सव्वं न घडइ हिंसा, अणाइनिहणस्स सोम ! जीवस्स। हिंसासदत्थं पुण, न याणसि तेणिमं भणसि // 48 // पाणा संति इमस्स त्ति, तेण पाणि त्ति वुच्चई जीवो। पाणे उण दससंखे, आगमभणिए इमे मुणसु पंचिंदियाणि मण-वयण-काय बल-माणपाणमाउं च / एए दसहा पाणा, पन्नत्ता जिणवरिंदेहि जहसंभवं इमे पुण, जीवेण समं भवंति संघडिया। आउट्टिप्पभिईहिं, एआण विओयणं हिंसा . // 51 // सासयरूवाओ वि हू, जीवाउ इमेसि जं पुढो करणं। . तं तस्स तिव्वदुह-दायगं ति उवयारओ हिंसा // 52 // एवंविहहिंसाए जो परिहारो हविज्ज सा हु दया। हवइ उ अतुल्लकल्लाण-कारणं सेविया एसा // 53 // को तेयंसी तवणाओ, को व सुरसहयराउ ओयंसी। को व तरस्सी पवणाउ, को व मयणाउ रूवस्सी किं नहयलाउ विउलं, सुपइटें किं व धरणिवट्ठाओ। को अन्नो वि हु धम्मो, जीवदयाओ विसिट्ठयरो . // 55 // // 50 // // 54 // . पठाआ7 100.