________________ // 8 // ते धन्ना ते पुन्ना, तेसु पणामो हविज्ज मह निच्चं / जेसिं गुणाणुराओ, अकित्तिमो होइ अणवरयं // 3 // किं बहुणा भणिएणं, किं वा तविएण किं व दाणेणं / . . . इक्कं गुणाणुरायं, सिक्खह सुक्खाण कुलभवणं // 4 // जइ वि चरसि तवं विउलं, पढसि सुयं करिसि विविहकट्ठाई। न धरसि गुणाणुरायं, परेसु ता निष्फलं सयलं // 5 // सोऊण गुणुक्करिसं, अन्नस्स करेसि मच्छरं जइ वि। ता नूणं संसारे, पराहवं सहसि सव्वत्थ , // 6 // गुणवंताण नराणं, ईसाभरतिमिरपूरिओ भणसि / जइ कह वि दोसलेसं, ता भमसि भवे अपारम्मि // 7 // जं अब्भसेई जीवो, गुणं च दोसं च इत्थ जम्मम्मि / तं परलोए पावई, अब्भासेणं पुणो तेणं। जो जंपइ परदोसे, गुणसयभरिओ वि मच्छरभरेणं / सो विउसाणमसारो, पलालपुंज व्व पडिभाइ // 9 // जो परदोसे गिण्हइ, संतासंते वि दुट्ठभावेणं / . सो अप्पाणं बंधइ, पावेण निरत्थएणावि // 10 // तं नियमा मुत्तव्वं, जत्तो उपज्जए कसायग्गी। तं वत्थु धारिज्जा जेणोवसमो कसायाणं // 11 // जइ इच्छह गुरुयत्तं, तिहुयणमज्झम्मि अप्पणो नियमा / ता सव्वपयत्तेणं, पदरदोसविवज्जणं कुणह // 12 // चउहा पसंसणिज्जा, पुरिसा सव्वुत्तमुत्तमा लोए। उत्तम उत्तम उत्तम, मज्झिमं भवा य सव्वेसिं // 13 // जे अहम अहम अहमा, गुरूकम्मा धम्मवज्जिया पुरिसा। ते वि य न निंदणिज्जा, किंतु दया तेसु कायव्वा . // 14 //