________________ // 2 // // 3 // // 4 // पू.आ.श्रीमुनिचन्द्रसूरिविरचितम् . // रत्नत्रयकुलकम् // चंदद्धसमणिडालं झंपियनिस्सेसकुगइपायालं / मंगलकमलमरालं वंदे वीरं गुणविसालं लद्धे माणुसजम्मे रम्मे निम्मलकुलाइगुणकलिए / घडियव्वं मोक्खकए णरेण बहुबुद्धिणा धणियं देवगुरुधम्मतत्ते विनाए मोक्खसंभवो भविणो / अमुणियमग्गसरूवा ण इट्ठपुरगामिणो होति जियरागो जियदोसो जियमोहो जो मओ स इह देवो / अरिहंतो च्चिय सो पुण नउ अन्ने हरिहराईया भवविसतरुबीयसमा दोसा रागाइणो जयस्सावि / जे सामन्नामन्त्राण ताण कह होउ देवत्तं ? सरयससिसोमरूवो सुरुपयडियपाडिहेरमाहप्पो / परमपयसत्थवाहो भवसागरपारगो भगवं एसो च्चिय णमणिज्जो णमंसणिज्जो य पूयणिज्जो य / संभरणिज्जो महया. तोसेण निभालणिज्जो य जो जारिसओ देवो तारिसमाराहिओ फलं देई / न कयाइ निंबरुक्खा फलंति कप्पदुमफलाई णिव्वाणसोक्खसामी सव्वन्नु च्चिय निसेविए तम्मि / अवियप्पेण मणेझैं लब्भइ भव्वेहि सिद्धिसुहं सयलभुवणेक्कबंधू अइसयसयरयणरोहणगिरिंदो / देविदचंदमहिओ धन्नाण जिणो हवइ देवो अमलियसीलसहावा उवसमजलखलियमयणवणदावा / परियाणियसब्भावा जे निम्मलफलिहसमभावा // 5 // // 7 // // 8 // // 9 // // 10 // 75