________________ ता तप्पंति न हियए वीरा पत्ते वि पियविओगम्मि / एवंविहो च्चिय भवो किमिह अपुव्वं समुप्पण्णं? . // 22 // अत्थमणंतो दिवसो रविउदयंता य सव्वरी होइ / अन्नोऽनंतरियाई सुहदुक्खाई पि जीवाणं // 23 // तह सोगे कीरंते रूवं परिगलइ टलइ देहबलं / नासइ नाणं मा माणसम्मि सोगं जणा ! कुणह // 24 // . जह संपइ अन्नजणं मयमणुसोयसि तहा तुमं पि इमो। कयवइदिणावसाणे बंधुजणो सोइही लग्नो // 25 // एत्तो च्चिय जे धीरा परम्मुहा होंति सव्वसंगेसुं / जं संगमूलमेयं दुक्खं जीवाण संसारे // 26 // तस्स न जसो न धम्मो न चेव अत्थो न कि पि कल्लाणं / अन्नं पि अस्थि नटुं जो मूढमणो विचिंतेइ // 27 // सोगो नासेइ मई सुबहुं पि सुयं विणासई सोगो / सोगो धीनासकरो सोगसरिच्छो रिवू णत्थि // 28 // मइमं सुयसच्छच्छो जो होइ जिइंदिओ दमियचित्तो। सो च्चिय दुक्खकरालं जणो जिणइ सोगवेयालं // 29 // ता उज्झियसोगभरा तुब्भे होऊण जिणमयं सरह / जेण न रोगो सोगो इट्टवियोगो पुणो होइ // 30 // वयसुद्धी सज्झाओ झाणं दाणं जिणिंदपूया य / एमाइकुसलकज्जुज्जमेण दियहा गमेयव्वा // 31 // ते धुयकिलेसलेसा न सोयवसवत्तिणो दढं होति / एयं उवएसामयमणुदिवसं जे पियंति जणा - // 32 // मुणिचंदायरियाणं उवएसाणं सुहासरिच्छाणं / .. . एयारिसाण विरला केइ परं भायणं होंति * // 33 / / 74