________________ ___ M सिद्धान्तशिरोमणिनेमिचन्द्रसूरिणा साध्ववस्थायां कृतम् . // आत्मबोधकुलकम् // जम्मजरामरणजले नाणाविहवाहिजलयराइन्ने ; भवसायरे असारे, दुल्लहो खलु माणुसो जम्मो तम्मि वि आरियखित्तं, जाइकुलरूवसंपयाउयं ; चिंतामणिसारित्थो, दुल्लहो धम्मो य जिणभणिओ // 2 // भवकोडिसएहिं, परिहिंडिउण सुविसुद्धपुनजोएण ; इत्तियमित्ता संपइ, सामग्गी पाविया जीव ! // 3 // रूवमसासयमेयं, विज्जुलयाचंचलं जए जीयं ; संझाणुरागसरिसं, खणरमणीयं च तारुण्णम् // 4 // गयकनचंचलाओ, लच्छीओ तियसचावसारिच्छं ; विसयसुहं जीवाणं, बुज्झसु रे जीव ! मा मुज्झ किंपाकफलसमाणा, विसया हालाहलोवमा पावा ; मुहमुहरत्तणसारा, परिणामें दारुणसहावा / भुत्ता य दिव्वभोगा, सुरेसु असुरेसु तहय मणुएसु ; न य जीव ! तुज्झ तित्ती, जलणस्स व कट्ठनियरेहि जह संझाए सउणाणं, संगमो जह पहे य पहियाणं ; सयणाणं संजोगो तहेव खणभंगुरो जीव ! // 8 // पियमाइभाइभइणी,-भज्जापुत्तत्तणे वि सव्वे वि ; संत्ता अणंतवारं, जाया सव्वेसि जीवाणं. // 9 // ता तेसिं पडिबंधं, उवरि मा तं करेसु रे जीव ! पडिबंध कुणमाणो इहयं चिय दुक्खिओ भमिसि // 10 // जाया तरुणी आभरणवज्जिया, पाढिओ न मे तणओ; धूया नो परिणीया, भइणी नो भत्तुणो गमिया // 11 // // 7 // - ' ca