________________ // 15 // // 16 // // 17 // // 18 // // 19 // तओ य कहिए कज्जे, जो पमायवसं गओ। वत्तव्वो सो जहाजुग्गं, धम्मियं चोयणं इमं . . दुल्लंभो माणुसो जम्मो, धम्मो सव्वन्नुभासिओ। साहुसाहम्मियाणं च, सामग्गी पुण दुल्लहा चलं जीयं धणं धन्नं, बंधुमित्तसमागमो। खणेण ढुक्कए वाही, ता पमाओ न जुत्तओ न तं चोराऽवि लुपंति, न तं अग्गी विणासए / न तं जूए वि हारिज्जा, जं धम्मम्मि पमत्तओ किण्हसप्पं करग्गेणं, विसं घुटेण घुटए / . निहाणं सो पमुत्तूणं, कायखंडं च गिण्हए लद्धे जिणिंदधम्मम्मि, सव्वकल्लाणंकारए / वियाणंतो भवं घोरं, पमायं जो न छड्डए' ता सम्मत्तं वियाणंतो, मग्गं सव्वन्नुदेसियं / पमायं जं न मिल्हेसि, तं सोएसि भवन्नवे एवंविहाहि वग्गूहि, चोएयव्वो सुसावओ। . भाववच्छल्लयं एयं, कायव्वं च दिणे दिणे इय दव्वभावभेयं काउं साहम्मियाण वच्छल्लं / सव्वत्थ वयणसारं सिवफलमाराहियं होइ विहिकयचेइयभवणे जिणबिम्बं जो विहीऐ पूएइ / तिक्कालं मलमुक्को सो जायइ सासओ सिद्धो इय साहम्मियकुलयं अक्खायं अभयदेवसूरीहिं / धन्ना धरंति हियए कयपुन्ना जे महासत्ता // 20 // // 21 // // 22 // // 23 // // 24 // .. // 25 // 82