________________ // 24 // // 25 // / // 26 // // 27 // नयणविहूणं वयणं कमलविहूणं च सरवरं जह य / न य सोहइ तह खंतीए बाहिरं माणुसं लोए उव्वहइ जडामउडं कावडिमालं तिदंडपिच्छाई / तवनियमेण किलिस्सइ जइ न खमा नत्थि साहारो नाणी सम्मत्तजुओ चारित्ती जइ वि मुणिवरो होइ / तह वि हु खंतिविहूणो न पावए परमनिव्वाणं जह खंतिखग्गजुत्ता पंचिंदियसुहडसंकुले समरे / पाविति जयपडागं जिणिऊण य मोहरायं तु खंतिदयादमजुत्तो जो मणुओ होइ जीवलोगम्मि / सो जसकित्ती पावइ कल्लाणपरंपरं विउलं इहलोए परलोए सुहाण सव्वाण कारणं खंती / तम्हा जिणाण आणा कायव्वा मुक्खफलहेऊ एवं खंतीकुलयं रइयं सिरिवासुदेवसूरीहिं / कोहग्गिसमुल्हवणं भवविरहं कुणइ भवियाणं अग्गिट्ठइ सिरिजालियइ, को मन्नइ उवयारु ? / खंतीअ पसाइण मुक्ख गओ, राणउ गयसुकुमालु // 28 // // 29 // // 30 // // 31 // नवाङ्गवृत्तिकार आ.श्रीमदभयदेवसूरिविरचितम् / // सार्धमिकवात्सल्यकुलकम् // नमिऊण जिणं पासं वुच्छं साहम्मियाण वच्छल्लं / धीरेहिं विहेयव्वं जाणिअजिणवयणसारेहि . // 1 // साहम्मियाण वच्छलं, कायव्वं भत्तिनिब्भरं / .. . देसियं सव्वदंसीहिं, सासणस्स प्पभावगं . // 2 // 60