________________ पू.आ.श्री वासुदेव(=हरि.)सूरिविरचितम् (भवविरहाङ्कितम्) ॥क्षान्तिकुलकम् // अरिहंत सिद्ध सूरी उवझाए साहुणो नमेऊण / एयं धम्मरहस्सं भणिमो जीवाण सुहहेऊ कोहस्स य निग्गहणं खंती जीवो (ए) य संजमो भणिओ। खंती गुणाण मूलं खंती धम्मस्स सव्वस्सं . // 2 // खंतिपहाणो धम्मो पयासिओ जिणवरेण वीरेण / सइ सामत्थे सोढो उवसग्गंपरीसहे घोरे तित्थयरगणहराणं चक्कीण बलाण वासुदेवाणं / रिद्धीओ पवराओ खंतिपभावेण लब्भंति // 4 // अनियपुत्तायरिया गयसुकुमालो य खंदगसुसीसा / अहियासिओवसग्गा खंतीए ते सिवं पत्ता मेयज्ज दढपहारी सुदंसणो चंडरुद्दसीसो य / तह कूरगड्डुयाई खंतिजुया केवली जाया . // 6 // मणिरहकुमारसाहू कामगइंदो य वइरगुत्तरिसी / खंतीइ जुया सिद्धा सयंभुदेवो महरहो य . // 7 // करकंडुमाइणो तह हल्लविहल्ला य चरमदेहधरा / पसमाइखंतिकलिया निव्वाणमणुत्तरं पत्ता अन्नेवि वंकचूला चिलाइपुत्ताइणो खमासहिया / पत्ता विमाणवासं अच्छरगणसंकुलं रम्म // 9 // जे के वि हुंति मुणिणो केवलिमणपज्जवोहिसुयनाणी / . भयवंतो लद्धिजुया खंतीसामत्थओ ते उ // 10 // रिसिदत्तं गुणसुंदरी दक्खिणि दवदन्ति दोणि जंबुवई / ' रुप्पिणि रायमईए सिद्धा खंतीए धीधणिणो - // 11 // 58 // 8 //