________________ पिच्छसु पाणविणासे वि, नेव कुप्पंति ते महासत्ता / तुज्ज पुण हीणसत्तस्स, वयणमित्ते वि एस खमा अक्कोस - हणण - मारण - धम्मब्भंसाण बालसुलभाणं / : लाभं मन्नइ धीरो, जहुत्तराणं अभावम्मि // 4 // रे जीव ! सुहदुहेसुं, निमित्तमित्तं परो जीयाणं पि। सकयफलं भुंजतो, कीस मुहा कुप्पसि परस्स // 5 // 'कोहवसट्टे भंते !, जीवे किं जणइ' इय विजाणंतो / भगवयवयणं निल्लज्ज, देसि कोवस्स अवंगासं पढमं चिय तं जंतुं, कोहग्गी डहइ जत्थ उववज्जे / .... तत्थुप्पन्नो तं चेव, इंधणं धूमकेउ व्व // 7 // रे जीव ! कसायहुआसणेण दड्ढे चारित्तघरसारे / भमिहिसि भवकंतारे, दीणमणो दुत्थिउ व्व तुमं // 8 // इहयं चिय पच्चक्खं, दुक्खमिणं तुज्झ कोहवसगस्स। जं पुण परम्मि लोए, तं जाणइ जीव ! सव्वन्नू न मुणंति परं अप्पं, कयमकयं सुंदरं व इयरं वा / धणमित्तनासमरणं, वेरं न गणंति कोहंधा // 10 // सपरोभयाण संताव - कारओ कुगइगमणहेऊ अ। पीईवुच्छेअकरो, कोहो तवनियमवणदहणो जं अज्जियं चरित्तं, देसूणाए वि पुव्वकोडीए / तं पि हु कसायमित्तो, हारेइ नरो मुहुत्तेणं // 12 // जं अज्जियं समीपल्लवेहिं तवनियमबंभमाइएहिं / मा हु तयं कलहंता, उल्लिंचह सागपत्तेहिं // 13 // पढउ सुअं धरउ वयं, कुणउ तवं चरउ बंभचेराई / . तह वि तयं सव्वं पि हु, निरत्थयं कोहवसगस्स . // 14 // // 11 // પs