________________ पूअंति जेण जिणिंदे वयाई धारंति सुद्धसम्मत्ता / साहूणं दिण्णदाणा न हु ते मरणाउ बीहंति - // 24 // तव निअमेण य मुक्खो दाणेण य हुंति उत्तमा भोगा। देवच्चणेण रज्जं अणसणमरणेण इंदत्तं / // 25 // काले सुपत्तदाणं सम्मत्तविसुद्धबोहिलाभं च। . अंते समाहिमरणं अभव्वजीवा न पाविति // 26 // खणभंगुरे सरीरे मणुअभवे अब्भपडलसारिच्छे / / सारं इत्तिअमित्तं जं कीरइ सोहणो धम्मो ' // 27 // अथिरेण थिरो समलेण निम्मलो परवसेण साहीणो। . .. देहेण जइ विढप्पइ धम्मो ता किं न पज्जत्तं . // 28 // अलसा होह अकज्जे पाणिवहे पंगुला सया होह। . परतत्तीसु बहिरा जच्चंधा परकलत्तेसु / // 29 // जइ सुकयज्झवसाओ धम्मज्झयमूसिअं इमं वइर (वीर !) / गिण्ह लहुं रयहरणं कम्मरयपमज्जणं धीर . // 30 // अइ गरुओ मोहतरू अणाइभवभावणाविगयमूलो। दुक्खं उम्मूलिज्जइ अच्चंतं अप्पमत्तेणं // 31 // सावयघरम्मि वर हुज्ज चेडओ नाणदंसणसमेओ। मिच्छत्तमोहिअमई मा राया चक्कवट्टी वि // 32 // संतोसो करणजुओ पसण्णचित्तं दयालुभावो अ। सच्चं सोअं दुज्जणपरिहारो इअ सुहा सत्त // 33 // 4