________________ // 31 // . // 32 // // 33 // // 34 // संतम्मि जिणुद्दिढे, कम्मक्खयकारणे उवायम्मि। अप्पायत्तम्मि न किं, तद्दिट्ठभया समुज्जेह . जह रोगी कोई नरो, अइदुसहवाहिवेयणादुहिओ। तदुहनिव्विन्नमणो, रोगहरं वेज्जमनिसइ तो पडिवज्जइ किरियं, सुवेज्जभणियं विवज्जइ अपच्छं। तुच्छत्रपच्छभोइ, इसी सुवसंतवाहिदुहो ववगयरोगायंको, संपत्ताऽऽरोग्गसोक्खसंतुट्ठो / बहु मन्नेइ सुवेज्जं, अहिणं देइ वेज्जकिरियं च तह कम्मवाहिगहिओ, जम्मणमरणाउइन्नबहुदुक्खो। तत्तो निम्विन्नमणो, परमगुरुं तयणु अनिसइ लद्धम्मि गुरुम्मि तओ, तव्वयणविसेसकयअणुट्ठाणो। पडिवज्जइ पव्वज्जं, पमायपरिवज्जणविसुद्धं नाणाविहतवनिरओ, सुविसुद्धासारभिक्खभोइ य / सव्वत्थ अप्पडिबद्धो, सयणाइसु मुक्कवामोहो एमाइ गुरुवइटुं, अणुट्ठमाणो विसुद्धमुणिकिरियं / / / मुच्चइ निसंदिद्धं, चिरसंचियकम्मवाहीहिं // 35 // // 36 // पा // 37 // // 38 // // पुण्यकुलकम् // संपुन्नइंदियत्तं, माणुसत्तं च आयरियखित्तं / जाइकुल-जिणधम्मो, लब्भंति पभूयपुण्णेहिं जिणचलणकमलसेवा, सुगुरुपायपज्जुवासणं चेव / सज्झायवायवडत्तं, लब्भंति पभूयपुण्णेहिं सुद्धो बोहो सुगुरुहि, संगमो उवसमं दयालुत्तं / / दाखिन्नं करणं जं, लब्भंति पभूयपुण्णेहि - // 2 // * // 3 // 30